1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Jun 2025 03:12:28 PM IST
नहीं चाहिए लालू-नीतीश का राज - फ़ोटो google
EAST CHAMPARAN: जन सुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के पूर्वी चंपारण में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने बिहार की जनता को यह संदेश दिया कि अब सत्ता परिवर्तन का समय आ गया है। बिहार के लोग पुराने नेताओं को अब वोट न दें और अपने नए नेतृत्व के लिए आवाज उठाएं।
उन्होंने कहा कि वोट बिहार के लोगों का है, इसलिए फैक्ट्री भी बिहार में लगनी चाहिए। जब उन्होंने लोगों से पूछा कि फैक्ट्री सूरत में लगनी चाहिए या बिहार में, तो लोगों ने एक स्वर में कहा कि फैक्ट्री अब सूरत में नहीं, बल्कि बिहार में लगनी चाहिए।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता का वोट बिहार के विकास के लिए होना चाहिए। बिहार में रोजगार और उद्योगों का विस्तार बहुत जरूरी है। फैक्ट्रियां अब सूरत में नहीं बल्कि बिहार में लगनी लगानी चाहिए। बिहार में भी ऐसा वातावरण है जो उद्योगों को प्रोत्साहित कर सकता है।
प्रशांत किशोर ने जब लोगों से पूछा कि क्या वे नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं या इस बार उन्हें बाय-बाय कहना चाहते हैं, तो सभा में मौजूद हजारों लोगों ने हाथ उठाकर कहा कि इस बार नीतीश कुमार को बाय-बाय कर देना चाहिए। इस बार अगर प्रधानमंत्री मोदी भी उनके लिए वोट मांगें तो भी उन्हें वोट नहीं देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार बिहार में जनता का राज स्थापित होना चाहिए, न कि लालू, नीतीश या मोदी का राज।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि बिहार की जनता पुराने नेताओं को ‘बाय-बाय’ कहे। उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों से यह अपील किया कि बिहार में इस बार नई राजनीतिक सोच और नए नेतृत्व का आगमन होना चाहिए, जो लालू यादव, नीतीश कुमार या मोदी के पुराने शासन से अलग हो।
सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार की जनता के पास अधिकार है कि वे अपने भविष्य का चुनाव खुद करें और यह चुनाव बिहार के विकास और जनहित में हो। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे अपने वोट का इस्तेमाल इस बार बिहार में सच्चे परिवर्तन के लिए करें। यह सभा बिहार की राजनीतिक उठापटक के बीच एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखी जा रही है, जहां जनता ने साफ तौर पर यह संदेश दिया है कि वे पुराने राजनीतिक नेतृत्व से तंग आ चुके हैं और बदलाव चाहते हैं।