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Bihar Politics: सुपर फ्लॉप साबित हुई प्रशांत किशोर की ‘बदलाव रैली’, गांधी मैदान में खाली रह गईं कुर्सियां; मुंह दिखाने से भी बचते रहे PK

Bihar Politics: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की बदलाव रैली की हवा निकल गई. दावा तो किया गया था कि इतनी भीड़ होगी कि गांधी मैदान का कोना भी नहीं बचेगा लेकिन 95 फीसद कुर्सियां खाली पड़ी रह गईं.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 11 Apr 2025 06:04:43 PM IST

Bihar Politics

- फ़ोटो reporter

Bihar Politics: बिहार में सियासी जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर को एक बार फिर से फजीहत का सामना करना पड़ा है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने 11 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में बदलाव रैली का आयोजन किया था। दावा किया गया था कि रैली में लाखों की संख्या में लोग पहुंचेंगे हालांकि सारे दावे हवा हवाई साबित हो गए।


दरअसल, देशभर की राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति तय करने वाले प्रशांत किशोर ने बड़े ही अरमानों के साथ सियासत में कदम रखा था। शुरुआत के दिनों में तो उन्होंने पार्टी बनाने की बात को खारिज कर दिया था लेकिन जब पदयात्रा के दौरान उन्हे लोगों का समर्थन मिला तो आखिरकार उन्होंने राजनीति में उतरने का एलान कर दिया।


प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि वह बिहार की पूरी व्यवस्था को ठीक कर देंगे। पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान किया था हालांकि इस बीच राज्य में हुए उपचुनावों में ही उन्होंने अपने उम्मीदवार उतार दिए। इन उपचुनावों में वह अपना जलवा तो नहीं दिखा सके लेकिन वोट कटवा की भूमिका में जरूर आ गए।


लगातार फिसड्डी साबित होने के बाद बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में आंदोलन करने के लिए प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान में सत्याग्रह किया। बिना जिला प्रशासन की इजाजत के सत्याग्रह करना उन्हें भारी पड़ गया और थाने से लेकर कोर्ट तक का चक्कर उन्हें काटना पड़ा। आखिरकार उनका सत्याग्रह पूरी तरह से फेल हो गया।


अब विधानसभा चुनाव पर प्रशांत किशोर का फोकस है। चुनाव में उतरने से पहले उन्होंने अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरे ताम झाम के साथ पटना के गांधी मैदान में बदलाव रैली बुला ली। दावा किया कि इस रैली में पूरे राज्य से लाखों की संख्या में लोग पहुंचेंगे हालांकि दावा पहले के दावों की तरह ही हवा हवाई साबित हो गया। रैली में लाख की कौन कहे 10 हजार लोग भी रैली में शामिल नहीं हुए। अपनी फजीहत होते देख प्रशांत किशोर बार-बार रैली का समय बदलते रहे।


पहले रैली का समय दोपहर दो बजे निर्धारित किया गया था लेकिन जब लोग नहीं पहुंचे तो रैली का समय तीन बजे किया गया। इसी तरह हर घंटे रैली का समय बढ़ाया जाता रहा लेकिन शाम 6 बजे तक पीके की रैली में भीड़ नहीं जुट पाई और पूरे गांधी मैदान की कुर्सियां खाली पड़ी रह गईं। शाम 6 बजे तक प्रशांत किशोर रैली को संबोधित करने के लिए नहीं पहुंचे और जो कुछ बचे खुचे लोग गांधी मैदान में मौजूद थे वो भी अपने गणतव्य की ओर रवाना हो गए। 6 बजे के बाद पीके पहुंचे तो महज 08 मीनट के भीतर ही रैली को निपटा दिया।