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1st Bihar Published by: Ganesh Samrat Updated Mon, 01 Sep 2025 04:47:16 PM IST
- फ़ोटो Reporter
Bihar Politics: लंबे समय से कांग्रेस में अपनी जगह तलाश रहे पूर्णिया सांसद पप्पू यादव को एक बार फिर से फजीहत उठानी पड़ी। हालत यह थी कि राहुल गांधी की पूरी यात्रा के दौरान उन्हें कोई पूछने वाला तक नहीं था। बावजूद इसके वह कांग्रेस में पार्टी का झंडा लेकर यात्रा में जबरदस्ती पिछलग्गू बने रहे। पटना में राहुल गांधी का वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम में पप्पू यादव को मंच पर जगह नहीं मिली। जिसके बाद सड़क पर कुर्सी लगाकर उन्हें बैठना पड़ा।
दरअसल, बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को विपक्षी महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का भव्य समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और अन्य कई प्रमुख विपक्षी नेता मंच पर मौजूद रहे, लेकिन पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव को एक बार फिर मंच से दूर रखा गया।
तेजस्वी के सामने पप्पू का सरेंडर
पप्पू यादव के साथ यह पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी पिछली बार जब राहुल गांधी पटना पहुंचे थे तो उन्हें मंच से धक्का देकर भगा दिया गया था। तब इसको लेकर पप्पू यादव ने सफाई भी दी थी। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान जब पप्पू यादव को मौका मिला तो उन्होंने तेजस्वी के सामने हथियार डाल दिए।
उम्मीदों पर फिरा पानी
पप्पू यादव ने तेजस्वी की तारीफ में जमकर कसीदे गढ़े और तेजस्वी को जननायक की उपाधि दे डाली। उन्हें उम्मीद थी कि तेजस्वी को लेकर उन्होंने जो कसीदे गढ़े उसका असर होगा और उन्हें इस बार पूरी प्रतिष्ठा के साथ मंच पर जगह मिल जाएगी लेकिन राहुल-तेजस्वी ने फिर से पप्पू यादव की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मंच पर राहुल-तेजस्वी के साथ गठबंधन के नेता मौजूद रहे लेकिन इस बार भी पप्पू यादव को मंच पर जगह नहीं मिली।
सड़क पर कुर्सी लगाकर बैठना पड़ा
मंच पर चढ़ने की अनुमति नहीं मिलने पर पप्पू यादव ने सड़क किनारे आम समर्थकों के बीच कुर्सी लगाकर बैठने का निर्णय लिया और सभा को वहीं से सुना। उनका यह कदम चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब उन्हें महागठबंधन के किसी मंच से अलग-थलग किया गया हो। समर्थकों में इसको लेकर नाराजगी भी देखी गई।
कबतक इस तरह से बेइज्जत होते रहेंगे?
पप्पू यादव की जनता के बीच पकड़ और उनकी राजनीतिक सक्रियता के बावजूद उन्हें बार-बार मंच से दूर रखा जाना बिहार की राजनीति में बहस का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पप्पू यादव को नजरअंदाज करने की रणनीति के पीछे महागठबंधन की अंदरूनी राजनीति काम कर रही है, जो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले और तेज हो सकती है। ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि बार-बार अनदेखी होने के बावजूद आखिर पप्पू यादव कबतक इस तरह से बेइज्जत होते रहेंगे?