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19-Mar-2025 08:34 AM
Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस ने अपनी सियासी चाल तेज कर दी है। दलित चेहरे राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने न सिर्फ एनडीए बल्कि अपने सहयोगी आरजेडी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यह फैसला इंडिया गठबंधन में नई हलचल का कारण बन रहा है, खासकर लालू यादव की आरजेडी के लिए, जो दलित वोटों पर मजबूत पकड़ रखती है।
बताते चलें कि राजेश राम, औरंगाबाद के कुटुंबा से विधायक हैं और कांग्रेस से पुराना ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बीते तीन विधानसभा चुनावों में बक्सर, रोहतास, कैमूर, भोजपुर, अरवल, औरंगाबाद और गया का इलाका एनडीए के लिए चुनौती रहा है। 2020 में इन 49 सीटों में से 41 पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था, जिसमें कुटुंबा और राजपुर जैसी आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की जीत शामिल थी। अब राजेश राम के जरिए कांग्रेस इस इलाके में अपनी पकड़ और भी ज्यादा मजबूत करना चाहती है।
ज्ञात हो कि इस इलाके में करीब 25% दलित वोटर हैं। यह वही क्षेत्र है, जहां आरजेडी और बीएसपी का दलितों पर प्रभाव रहा है। बीते लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के जरिए एनडीए ने कुछ हद तक समीकरण साधे थे, लेकिन विधानसभा में यह रणनीति फीकी पड़ी। दूसरी ओर, मायावती की बीएसपी का प्रभाव भी कम हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने मौके को भुनाने के लिए राजेश राम को आगे किया है। राहुल गांधी के दलित सम्मेलनों के बाद यह दूसरा बड़ा कदम है, जिससे दलित वोटों में सेंधमारी की तैयारी साफ नजर आ रही।
इस बात में कोई शक नहीं कि आरजेडी लंबे वक्त से दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों की बदौलत बिहार में मजबूत रही है। लेकिन कांग्रेस का यह कदम उसके लिए खतरे की घंटी है। उधर एनडीए के लिए भी यह चुनौती कम बड़ी नहीं है। दलित चेहरों को आगे कर बीजेपी ने इस इलाके में पकड़ बनाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा चुनावों में इस पार्टी को लगातार नुकसान ही हुआ। अब कांग्रेस का नया अवतार एनडीए के समीकरणों को भी बिगाड़ सकता है।