विपक्षी एकजुटता से नहीं हुई थी इंदिरा गांधी की हार, बोले प्रशांत किशोर... नीतीश बताए महागठबंधन का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

विपक्षी एकजुटता से नहीं हुई थी इंदिरा गांधी की हार, बोले प्रशांत किशोर... नीतीश बताए महागठबंधन का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

PATNA: पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक आयोजित की गई है. इस बैठक में राहुल गांधी समेत विपक्ष के 15 से 16 दलों के नेता शामिल हुए.जिसको लेकर अब जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकता पर तंज करते हुए कहा कि 1977 में लोग बताते हैं कि सारे दल एक हो गए तो इंदिरा जी हार गई। ये बात जितने लोग बता रहे हैं वो बेवकूफ हैं। 1977 से पहले जेपी का नव निर्माण आंदोलन हुआ और जेपी ने आंदोलन किया। जेपी का चेहरा था, इमरजेंसी लागू हुई। सब कुछ हो गया तब जाकर सब दल एक साथ में आए। अगर इतना कुछ नहीं हुआ होता तो क्या सारे दल इंदिरा गांधी को हरा देते? 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार में 10 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, तो तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार घोषणा कर दें कि कांग्रेस बिहार में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस इस पर मान जाए।

 

ऐसे नहीं हो सकती विपक्षी एकता

प्रशांत किशोर ने कहा कि साथ में बैठकर प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले हो गई होती। नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती है। मैंने भी इस क्षेत्र में 8 से 10 सालों तक काम किया है। ममता बनर्जी से आप मिले और ममता बनर्जी ने एक स्टेटमेंट जारी किया, आपने एक स्टेटमेंट जारी किया इसका जनता पर क्या असर पड़ा? समाज के लोगों पर क्या असर पड़ा? ऐसा तो नहीं कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कह दिया कि वो उन्हें पश्चिम बंगाल में लड़ने के लिए जगह दे देगी। कांग्रेस ने भी नहीं कहा कि हम वेस्ट बंगाल छोड़ देंगे ममता बनर्जी के भरोसे। 


 नीतीश कुमार सिर्फ ये करके दिखाएं 

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार का ही फार्मूला जारी कर दें कि कांग्रेस और RJD और JDU कितने सीटों पर लड़ेगी? महागठबंधन में बाकी अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीट पर लड़ेगी? CPI - CPIM और CPIML कितने सीटों पर लड़ेगी ? बिहार में ये फार्मूला जारी कर देंगे। इसके बाद आप दूसरे राज्यों में जाएंगे। तब जाकर आपको दूसरे दल के लोग आपको गंभीरता से लेंगे। विपक्षी एकता में होता ये है कि हर आदमी कहता है कि मैं अपनी ताकत पर चुनाव लड़ूंगा। दूसरे व्यक्ति को कहता है कि आप आपस में मिल जाएं। CPIML का स्ट्राइक रेट बिहार में नीतीश कुमार से ज्यादा है। नीतीश कुमार की पार्टी एक सौ दस सीटों पर लड़कर 42 सीटें जीती।  


वही CPIML 17 सीटों पर लड़कर 12 जीती है उस हिसाब से CPIML को ज्यादा एमपी की सीट मिलनी चाहिए। क्या नीतीश कुमार अपनी सीटें छोड़ देंगे? बात तब बनेगी न जब आप में त्याग करने की क्षमता हो। तेजस्वी यादव बोल रहे हैं यहां हम लोगों के लिए छोड़ दीजिए। CPIML मान जाए तब जाकर विपक्षी एकता की बात होगी। अपने घर ठिकाना है नहीं और पूरी दुनिया में घूम रहे हैं। कहा कि एकता सिर्फ आपस में बैठने से नहीं होती है। एकता के लिए जरूरी है कि विचारधारा के स्तर पर बात हो, नैरेटिव हो, चेहरा हो, आंदोलन हो और जमीन पर काम हो तब जाकर एकता होगी।