वर्दी पहनाकर महिला को बना दिया नकली पुलिस, थाने के बाहर कर दिया तैनात, नौकरी के नाम पर 4 लाख ऐंठने के बाद कर दिया गंदा काम

वर्दी पहनाकर महिला को बना दिया नकली पुलिस, थाने के बाहर कर दिया तैनात, नौकरी के नाम पर 4 लाख ऐंठने के बाद कर दिया गंदा काम

NAWADA: सिपाही में बहाली का झांसा देकर पुलिस के जवानों ने एक महिला के साथ गंदा काम किया। नौकरी के नाम पर उससे 4 लाख रुपये भी ऐंठ लिया। आश्चर्य की बाद तो यह है कि महिला को पुलिस की वर्दी पहनाकर थाने के बाहर खड़ा करा दिया। नौकरी पक्का कराने और मुजफ्फऱपुर में ट्रांसफर कराए जाने के नाम पर भी महिला के साथ यौन शोषण किया गया। जब महिला को पता चला की उसे नकली पुलिस बनाया गया है तब खुद को ठगा महसूस करते हुए पीड़िता नवादा सिविल कोर्ट पहुंच गयी। जहां महिला ने आरोपियों के खिलाफ परिवाद पत्र दायर किया जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। जिस थाने में आरोपी सिपाही तैनात है उसके थानाध्यक्ष से कोर्ट ने स्पष्टीकरण की मांग की है।


सिपाही में बहाली के नाम पर पैसे की ठगी और शारीरिक शोषण किये जाने के मामले में प्रभारी न्यायिक मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कुमार अविनाश ने गोविन्दपुर थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने यह पूछा था कि इस संबंध में एफआईआर दर्ज किया गया है या नहीं। इस सवाल का जवाब अब तक नहीं दिए जाने के बाद कोर्ट ने थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण की मांग की है। 


गौरतलब है कि पीड़िता नवादा के गोविंदपुर थाना क्षेत्र के डेल्हुआ डीह की रहने वाली है। जिसे गोविंदपुर थाने में तैनात पुलिसकर्मियों ने नौकरी का झांसा देकर यौन शोषण किया था यही नहीं पास रखे चार लाख रुपये भी ऐंठ लिए थे। महिला को नकली सिपाही बनाकर नारदीगंज थाने के बाहर तैनात भी कर दिया गया था। महिला को मुजफ्फरपुर में ट्रांसफर कराए जाने के नाम पर भी ठगी की गयी। 


महिला को नौकरी पक्का करने का आश्वासन भी दिया गया और इस नाम पर उसके साथ गंदा काम भी किया गया। जब महिला को यह ऐहसास हो गया कि उसके साथ गलत हुआ है। तब वह न्यायालय पहुंच गयी जहां परिवाद दायर कर उसने न्याय की गुहार लगायी। पीड़िता ने कोर्ट में दायर परिवाद में गोविंदपुर थाने के सिपाहियों को अभियुक्त बनाया।


 सिपाही शिवशंकर कुमार, सिपाही पंकज कुमार और रजौली के प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी शशिकांत वर्मा को भी पीड़िता ने अभियुक्त बनाया है। कोर्ट में परिवाद दायर होने के बाद 15 मार्च 2022 को गोविंदपुर थाने से कोर्ट ने प्रतिवेदन की मांग की। जब प्रतिवेदन नहीं भेजा गया तब कोर्ट ने 24 मार्च को स्मार पत्र भेजा। एक महीने बाद भी जब थानाध्यक्ष ने प्रतिवेदन नहीं भेजा तब कोर्ट ने थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण की मांग कर दी।