उत्तर प्रदेश में सुपर फ्लॉप साबित हुए मुकेश सहनी, अब बिहार में भी कुर्सी जाने का खतरा, जानिये क्या रहा वीआईपी का हाल

उत्तर प्रदेश में सुपर फ्लॉप साबित हुए मुकेश सहनी, अब बिहार में भी कुर्सी जाने का खतरा, जानिये क्या रहा वीआईपी का हाल

DESK: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार के अगर किसी नेता या पार्टी ने सबसे ज्यादा भूमिका बांधी तो वे थे मुकेश सहनी और उनकी पार्टी वीआईपी पार्टी. मुकेश सहनी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपना सियासी भविष्य दांव पर लगा दिया था. हाल तो ये था कि वे उत्तर प्रदेश में घूम घूम कर लोगों से ये अपील कर रहे थे कि बीजेपी को हर हाल में हरायें. लेकिन गुरूवार को चुनाव परिणाम आने के बाद मुकेश सहनी और उनकी पार्टी दोनों सदमे में पड़ी दिख रही है. बिहार के पड़ोसी राज्य में मुकेश सहनी के सारे दांव और दावे सुपर फ्लॉप साबित हुए. 


कुल 53 उम्मीदवारों में से 19 को हजार वोट भी नहीं मिले

उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी कर रहे मुकेश सहनी ने चुनाव से पहले ये दावा किया था कि उस सूबे में 165 सीटों पर उनकी जाति के वोटरों की संख्या निर्णायक है. लिहाजा ऐसी हर सीट पर वह चुनाव लडेंगे. चुनाव से पहले इन 165 सीटों पर मोटर साइकिल बांटे गये ताकि पार्टी के नेता उस मोटर साइकिल पर घूम कर वीआईपी पार्टी का प्रचार कर सकें. लेकिन चुनाव होने से पहले ही ये हाल हुआ कि 165 उम्मीदवार नहीं मिल पाये. मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सिर्फ 53 उम्मीदवार उतार पायी. अब हम उन उम्मीदवारों का हाल बता रहे हैं. 


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वीआईपी पार्टी जिन 53 सीटों पर चुनाव लड़ी उसमें से 19 सीट पर उसके उम्मीदवार को एक हजार वोट भी नहीं मिला. उदाहरण के लिए यूपी में मुंगरा बादशाहपुर सीट पर सिर्फ 223 वोट आय़े तो अमेठी सीट पर वीआईपी उम्मीदवार को मात्र 333 वोट मिले. छपरौली सीट पर वीआईपी पार्टी के उम्मीदवार को 759 वोट आये तो शेखुपुर सीट पर मात्र 582 वोट. इसी तरह उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर क्षेत्र में 370, चौरी-चौरा सीट पर 322 वोट, सिसवा सीट पर 323 वोट, आंवला सीट पर 514 वोट, बदलापुर सीट पर 560 वोट,  चौरा-चौरी में 759 वोट, जहानाबाद में 838 वोट मिले. 


सिर्फ तीन सीट पर 5 हजार से ज्यादा वोट मिले

उत्तर प्रदेश चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का हाल तो ये हुआ कि सिर्फ 3 सीटों पर पांच हजार से ज्यादा वोट मिल पाये. वीआईपी को सबसे ज्यादा वोट बैरिया विधानसभा सीट पर मिले. दरअसल इस सीट पर बीजेपी ने अपने सीटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया था. सुरेंद्र सिंह पार्टी से बगावत करके चुनाव मैदान में उतर गये. उन्होंने वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ा. सुरेंद्र सिंह को 28 हजार से ज्यादा वोट आये. लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे. बैरिया सीट के अलावा सिर्फ दो सीटें ऐसी रहीं जहां मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को 5 हजार से ज्यादा वोट मिले. आलापुर विधानसभा क्षेत्र में वीआईपी पार्टी की उम्मीदवार प्रेमलता को करीब साढे हजार वोट तो बांसडीह विधानसभा क्षेत्र में वीआईपी के अजय शंकर को तकरीबन साढे सात हजार वोट हासिल हुआ. 




सारे उम्मीदवारों की जमानत जब्त

उत्तर प्रदेश के 16 प्रतिशत वोट बैंक को अपनी मुट्ठी में बताने वाले मुकेश सहनी का हाल ये हुआ कि उनके किसी भी उम्मीदवार की जमानत भी नहीं बची. यूपी की किसी सीट पर उनका उम्मीदवार मुकाबले में ही नहीं रहा. बाइक बांटने से लेकर हेलीकॉप्टर से धुंआधार प्रचार का फायदा उनके किसी उम्मीदवार को मिलता नहीं दिखा. 


अब बिहार में कुर्सी खतरे में 

ये तो उत्तर प्रदेश चुनाव में वीआईपी पार्टी और मुकेश सहनी का हाल था जिसे हम आपको बता रहे थे. लेकिन सियासी जानकार बता रहे हैं कि मुकेश सहनी के साथ असली खेल तो बिहार में होना है. उत्तर प्रदेश में उन्होंने जो करने की कोशिश की उसका बीजेपी में काफी रियेक्शन है. बिहार बीजेपी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि यूपी में मुकेश सहनी ने जो किया उसे भूला नहीं जा सकता है. बीजेपी नेता ने कहा कि मुकेश सहनी की पूरी पॉलिटिक्स भाजपा की देन है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जब तेजस्वी य़ादव ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया तो भाजपा ने अपने साथ लाकर 11 सीट दी. मुकेश सहनी चुनाव हार गये फिर भी बीजेपी ने मंत्री बनवाया. बीजेपी नेता ने कहा कि मुकेश सहनी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जाते तो इससे भाजपा को कोई समस्या नहीं थी. भाजपा समझ रही थी कि मुकेश सहनी का क्या हश्र होने वाला है. लेकिन वे उत्तर प्रदेश में हेलीकॉप्टर से घूम-घूम कर लोगो से ये अपील कर रहे थे कि भले ही मुझे मत वोट दो लेकिन बीजेपी को हराओ. बीजेपी नेता ने कहा कि इसे भूला नहीं जा सकता है. 


मंत्री की कुर्सी जाने की संभावना

अब संभावना ये बन रही है कि मुकेश सहनी की मंत्री की कुर्सी जायेगी. बीजेपी के नेता बताते हैं कि पार्टी को पहले से ही अंदेशा था कि मुकेश सहनी धोखा दे सकते हैं. तभी उन्हें 2020 में उस सीट से एमएलसी बनाया गया जिसका कार्यकाल सिर्फ डेढ़ साल का था. मुकेश सहनी का कार्यकाल अगले दो महीने में खत्म हो रहा है. बीजेपी फिलहाल उन्हें फिर से विधान परिषद भेजने के लिए तैयार नहीं दिख रही. ऐसे में मंत्री की कुर्सी भी जायेगी. भाजपा के एक नेता ने कहा कि मुकेश सहनी की पार्टी का एक भी विधायक उनके साथ नहीं है. ऐसा भी हो सकता है कि उनकी पार्टी के किसी दूसरे विधायक को मंत्री बना दिया जाये.


बीजेपी नेताओं की ये भावना मीडिय़ा के सामने भी आने लगी है. उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम आने के साथ ही बिहार में बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने पार्टी नेतृत्व से मांग कर दी कि मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाया जाये. मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद पार्टी के वरीय नेताओं से मिलकर ये मांग कर चुके हैं कि मुकेश सहनी को एनडीए से निकाला जाये. अजय निषाद को उत्तर प्रदेश चुनाव तक खामोश रहने को कहा गया था. उनके करीबी बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने सांसद निषाद को ये भरोसा दिलाया था कि वह उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद मुकेश सहनी पर निर्णायक फैसला लेगा. ऐसे में मुकेश सहनी का सियासी भविष्य क्या होगा ये देखने की बात होगी.