BEGUSARAI: अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने हाल ही में 'भारत को आजादी भीख में मिलने' का बयान देकर एक नया बवाल खड़ा कर दिया है। कंगना रनौत के इस विवादित बयान पर विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ बीजेपी और जेडीयू के नेता भी उनके इस बयान की आलोचना कर रहे हैं। जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पद्मश्री अवार्ड को वापस लेने की मांग की है तो वही बीजेपी नेता मनोज तिवारी कहा कि हम अपने स्वाधीनता के इस अमृत महोत्सव को कम करके देखे यह नहीं हो सकता। इसकों गौरव के साथ सभी को देखना चाहिए।
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अभिनेत्री कंगना रनौत को पद्म पुरस्कार दिए जाने का विरोध करते हुए अवार्ड वापस लेने की मांग किया है। शनिवार को बेगूसराय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने आए उपेंद्र कुशवाहा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कंगना रनौत पर बेकार में टिप्पणी की जा रही है। वह कोई ऐसी बड़ी हस्ती नहीं है, जिस पर टिप्पणी की जाए। केंद्र की सरकार ने उसे पद्म पुरस्कार देने में भूल किया है। 1947 में मिली आजादी को भीख बताने वाले लोगों को पद्म पुरस्कार दिया जाना अच्छी बात नहीं है।
सरकार ने कंगना रनौत को पद्म पुरस्कार देने में कहीं ना कहीं भूल की है। कंगना रनौत से अभिलंब दिया गया अवार्ड वापस होना चाहिए। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद द्वारा हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन से किए जाने पर उपेंद्र कुशवाहा ने कड़ा विरोध जताया है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कुछ लोग हिंदू के लिए, कोई मुसलमान के लिए, उसके नाम पर राजनीति करता है। वोट के लिए राजनीति का धंधा करता है, वह लोग हमेशा हिंदू-मुसलमान के नाम पर वोट का धंधा करते रहते हैं। ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए, ऐसी राजनीति नहीं होनी चाहिए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सलमान खुर्शीद जैसे लोगों को अगर बोलना ही है तो देश की सेवा के लिए बोलें, गरीबों के हित के लिए उनके उत्थान के लिए बोलें, देश और समाज के विकास के लिए बोलें।
वही बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कंगना रनौत के बयान पर कहा कि कंगना ने किस परिप्रेक्ष में क्या कहा अभी हमारी उनसे बातचीत नहीं हो पाई है। जब भारत आजाद हुआ उसको किसी को भी दागदार करने और नीचा दिखाने का हक नहीं होना चाहिए। नई बाते करनी अच्छी बात है नो डाउट नरेंद्र मोदी जी के आने के बाद द गार्डियेन ने भी लिखा कि एक नया भारत शुरू हुआ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि हम अपने स्वाधीनता के इस अमृत महोत्सव को कम करके देखे इसको गौरव के साथ सभी को देखना चाहिए।