ट्रेन में महिला को हुई प्रसव पीड़ा; रेलवे ने शेखपुरा डीएम की मदद से पहुंचाया हॉस्पिटल, स्वस्थ बच्ची को दिया जन्म

ट्रेन में महिला को हुई प्रसव पीड़ा; रेलवे ने शेखपुरा डीएम की मदद से पहुंचाया हॉस्पिटल, स्वस्थ बच्ची को दिया जन्म

PATNA : ट्रेनों से लाखों का संख्या में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी लगातार जारी है। इस बीच यूपी-बिहार में श्रमिक स्पेशल में सफर कर रहे विभिन्न ट्रेनों में नौ मजदूरों की मौत के बाद रेलवे की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रेलवे पर लापरवाही का बड़ा आरोप लग रहा है लेकिन इसी बीच दिल को सुकून देने वाली तस्वीर सामने आयी है जहां ट्रेन में प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को रेलवे की सक्रियता से तुरंत अस्पताल भेजा गया जहां उसने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया। 


श्रमिक स्पेशल ट्रेन में अपने पति के साथ सफर कर रही आशा कुमारी को ट्रेन में प्रसव पीड़ा हुई। उस वक्त ट्रेन गया-क्यूल रुट पर दौड़ रही थी। ट्रेन से तत्काल रेलवे प्रशासन को सूचित किया गया। इस बीच वरीय अधिकारियों को भी सूचना दी गयी। रेल प्रशासन ने मामले में सक्रियता दिखाते हुए तत्काल शेखपुरा जिला प्रशासन से संपर्क किया। इस मामले में डीएम ने खुद तुरंत एक्शन लेते हुए एंबुलेंस की व्यवस्था की और महिला को तुरंत सदर हॉस्पिटल पहुंचाया गया। महिला ने हॉस्पिटल पहुंच कर स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।


इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए दानापुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम आधार राज ने बताया कि श्रमिक स्पेशल- 04610 के एस-7 कोच में महिला अपने पति के साथ सफर कर रही थी इसी दौरान गर्भवती आशा कुमारी को लेबर पेन शुरु हो गया। ये मामला देख शाम सात बजे है कि जह ट्रेन क्यूल-गया रेललाइन के सिरारी रेलवे स्टेशन पर पहुंची थी जो शेखपुरा जिले में पड़ता है। रेलवे ने सूचना के बाद तत्काल जिला प्रशासन से संपर्क साधा। इस पूरे मामले में शेखपुरा डीएम ने खुद संज्ञान लेते हुए महिला को सदर हॉस्पिटल भिजवाया । जहां महिला ने स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिय़ा। 


सोशल मीडिया में रेलवे और जिला प्रशासन की तत्परता  की जमकर तारीफ हो रही है। रेलवे की सक्रियता से एक नयी जिंदगी सुरक्षित खिलखिलायी है। वैसे अगर बात करें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में एक मई से अबतक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में खुशियों का यह खजाना यात्रियों को एक और दो नहीं बल्कि 30 बार मिला है। स्पेशल ट्रेनों में 30 बार किलकारियां गूंजी हैं और यात्रियों के माथे पर यात्रा की थकान और घर पहुंचने की चिंता खुशियों में तब्दील हो गई है।