तेजस्वी के संजय को मिली कैंपेन कमिटी में जगह तो भड़के BJP नेता, कहा .... लूटी गई संपत्ति को बचाने के लिए हो रहा ये काम

तेजस्वी के संजय को मिली कैंपेन कमिटी में जगह तो भड़के BJP नेता, कहा .... लूटी गई संपत्ति को बचाने के लिए हो रहा ये काम

मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की तीसरीबैठक में समन्वय समिति के साथ कैंपेन कमेटी का ऐलान हुआ। इस प्रचार समिति में तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव और जेडीयू से संजय झा की एंट्री हुई है। इंडिया गठबंधन में जिसमें 14 सदस्यीय समन्वय समिति के साथ-साथ कैंपेन कमेटी का भी ऐलान हुआ। जिसमें 19 लोगों को शामिल किया गया है। आरजेडी की तरफ से डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव की एंट्री हुई है, तो वहीं जदयू की ओर से नीतीश सरकार में मंत्री संजय झा को शामिल किया गया है। इसके अलावा 17 अन्य सदस्य भी कमिटी के मेंबर हैं।


दरअसल, 2020 में संजय यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को काफी मजबूत रणनीति तैयार कर दी थी। संजय यादव ने इस चुनाव में राजद नेता को सबसे अधिक चुनावी सभा करने का सलाह दिया था। जसिका परिणाम यह हुआ कि राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर विधानसभा पहुंची। हालांकि, यह अकेले दम सरकार बनाने से थोड़ी पीछे रह गई। लेकिन, ऐसा चर्चा है कि अगस्त महीने में जो सत्ता परिवर्तन हुआ उसमें भी तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार की काफी अहम भूमिका थी। 


वहीं, इंडिया गठबंधन की कैंपेन कमेटी की लिस्ट जिन नेता को शामिल किया गया है उसमें गुरदीप सिंह सप्पल (कांग्रेस),संजय झा (जेडीयू),संजय यादव(आरजेडी),अनिल देसाई, शिवसेना (यूबीटी),पीसी चाको- (एनसीपी),चंपई सोरेन-(जेएमएम),किरणमय नंदा- (सपा),संजय सिंह- (आप),अरुण कुमार- (सीपीआईएम),बिनॉय विश्वम- (सीपीआई),रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी- (नेशनल कॉन्फ्रेंस),शाहिद सिद्धिकी- (आरएलडी),एनके प्रेमचंद्रन- (आरएसपी)के जी देवराजन- (एआईएफबी),रवि राय- (सीपीआईएमएल),तिरुमावलन- (वीसीके),केएम कादर (आईयूएमएल),जोस के मणि,(केसीएम) टीएमसी (एक सदस्य) का नाम शामिल है। 


इधर, इंडिया गठबंधन की कैंपेन कमेटी पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर निशाना साधा। और कहा कि इसका मतलब की विपक्षी दलों ने अपने दोयम दर्जे के नेताओं, गैर महत्वपूर्ण नेताओं और निजी सहायकों की अभियान समिति बनाई है।आखिर अपनी निजी संपत्ति, राजनीति से लूटी गई संपत्ति, परिवार और राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए पॉकेट संगठनों और परिवार पोषित राजनीतिक संगठनों का अभियान  है।