PATNA : बिहार में सियासी तूफान की जो भविष्यवाणी फर्स्ट बिहार पिछले कई दिनों से कर रहा था वह सही साबित होता नजर आ रहा है. 9 अगस्त बिहार की सियासत का बेहद अहम दिन साबित होने जा रहा है. फर्स्ट बिहार पहले से कह रहा था कि मंगलवार यानि 9 अगस्त को नीतीश अपने विधायकों के साथ बैठक करेंगे. इसी दिन राजद और कांग्रेस ने भी अपने विधायकों की बैठक बुला ली है. लेकिन आपके जेहन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिरकार नीतीश कुमार बीजेपी से कैसे पल्ला झाडेंगे. सरकार में शामिल बीजेपी के मंत्रियों के साथ क्या होगा. हम आपको बताते हैं कि बीजेपी के साथ नीतीश क्या सलूक करने जा रहे हैं.
ये है नीतीश का एक्जिट प्लान
जेडीयू सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक नीतीश कुमार ने 2013 का वाकया दुहराने की तैयारी की है. बता दें कि 2013 में नरेंद्र मोदी के नाम पर नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ कर उसे सत्ता से बाहर कर दिया था. तब नीतीश कुमार ने तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत भाजपा के सारे मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. जेडीयू सूत्र कह रहे हैं कि इस बार भी वैसा ही होने जा रहा है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की हैसियत से बीजेपी के सारे मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से करेंगे. राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री की सिफारिश मानने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
इस्तीफा नहीं देंगे
बिहार में जो कुछ नया होने जा रहा है उससे 2017 में हुए सियासी घटनाक्रम की भी याद लोगों को आ रही है. 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से पल्ला झाड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. तब नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में मंत्रिमंडल खुद ब खुद भंग हो गया था. उसके बाद नीतीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से फिर से नयी सरकार बनायी थी.
जेडीयू के एक बड़े नेता ने बताया कि इस दफे 2017 की तरह इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता. जेडीयू नेता ने कहा-हमें मालूम है कि राजभवन में बैठे राज्यपाल बीजेपी के हैं. अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दें तो नयी सरकार के बनने में अडंगा लगाने की गुंजाइश बनेगी. हम ये मौका नहीं देने जा रहे हैं.
ऐसे में फिलहाल रास्ता ये निकाला गया है कि नीतीश कुमार बीजेपी के सारे मंत्रियों को बर्खास्त कर दें और फिर राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिला दें. जेडीयू सूत्रों के मुताबिक ऐसे में केंद्र सरकार औऱ राज्यपाल को कुछ खेल करने का मौका हासिल नहीं होगा. ज्यादा से ज्यादा बीजेपी ये कह सकती है कि उसने नीतीश कुमार से समर्थन वापस ले लिया है. तब राज्यपाल नीतीश कुमार को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहेंगे. राजद, कांग्रेस औऱ वाम दलों की मदद से नीतीश आराम से बहुमत साबित कर देंगे.
कानूनी राय मशवरा भी लिया गया
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार या बीजेपी कोई अडंगा नहीं डालें इसके लिए कानूनी राय भी ली गयी है. अगर केंद्र सरकार राज्यपाल या विधानसभा अध्यक्ष के जरिये कोई खेल करती है तो जेडीयू ने सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प भी खुला रखा है. जेडीयू के एक दिग्गज नेता ने दिल्ली में बड़े वकीलों से बात की है. सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
कुल मिलाकर कहें तो बिहार में नया सियासी समीकरण बनना तय हो चुका है. हालांकि इसमें एक अडचन बनी हुई है. बीजेपी नीतीश कुमार के खेल को समझ रही है. बीजेपी के थिंकटैंक इस खेल को रोकने के लिए सारी ताकत लगा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार के खेल को रोक पायेगी. इसी सवाल के जवाब में बिहार की सारे सियासी समीकरण छिपे हुए हैं.