PATNA: पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ड्यूटी पर रहते एक दलित आइएएस अधिकारी की हत्या के मामले में दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई की जब देश भर के आईएएस संगठन और दूसरे लोग निंदा कर रहे हैं तब बिहार के आईएएस एसोसियेशन और बिहार प्रशासनिक सेवा संघ की चुप्पी आश्चर्यजनक है. दोनों संगठनों में से किसी ने जेल मैन्युअल में छेड़छाड़ कर आनंद मोहन को रहा करने पर जुबान बंद कर ली है.
सुशील मोदी ने कहा कि कृष्णैया हत्याकांड के दोषी की रिहाई पर अफसरों के संगठनों ने विरोध करना तो दूर, सरकार के डर से एक निंदा प्रस्ताव तक पारित नहीं किया. ऐसे डर और चुप्पी को इतिहास क्षमा नहीं करेगा. उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्ति याद करते हुए कहा - "जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी इतिहास."
सुशील मोदी ने कहा कि जेल मैन्युअल को शिथिल कर राजनीतिक मंशा से 27 दुर्दांत अपराधियों की रिहाई के लिए लोकसेवक और आम नागरिक में अन्तर समाप्त करने का मुख्यमंत्री का तर्क बिल्कुल बचकाना है. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को यदि आम लोगों से अलग और अतरिक्त सुरक्षा प्रदान करने वाले नियम-कानून हैं, तो इसलिए कि वे निर्बाध ढंग से और निडर होकर अपने कर्तव्य का पालन कर सकें. क्या नीतीश कुमार जेल मैन्युअल में संशोधन के बाद हर कानून में ऐसी समानता ला सकते हैं?
सुशील मोदी ने कहा कि आइपीसी की धारा-353 लोकसेवकों के सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर लागू होती है, लेकिन अन्य पर नहीं. क्या इस अंतर को भी समाप्त किया जाएगा? उन्होंने कहा कि यदि लोकसेवकों को विशेष सुरक्षा देने वाले कई कानून हैं, तो कुछ कानून उन पर विशेष प्रतिबंध भी लगाते हैं। लोकसेवकों को आम लोगों की तरह चुनाव लड़ने और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार नहीं है. क्या यहाँ भी आम और खास का अंतर खत्म किया जाएगा?
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार अब मॉडल जेल मैन्युअल की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन क्या उनके पास इस बात का जवाब है कि इसे 2016 से अब तक लागू क्यों नहीं किया गया? केंद्र सरकार ने जिस साल माडल जेल मैन्युअल का प्रस्ताव दिया, बिहार सरकार ने उसी साल अपने यहां औऱ कठोर जेल मैन्युअल बना दिया था.