सुशासन के DM साहब को फुर्सत नहीं है: सरकारी स्कूल की बदहाली की गुहार लगाने कलेक्ट्रेट पहुंचे मासूम बच्चे, DM को फुर्सत नहीं थी

सुशासन के DM साहब को फुर्सत नहीं है: सरकारी स्कूल की बदहाली की गुहार लगाने कलेक्ट्रेट पहुंचे मासूम बच्चे, DM को फुर्सत नहीं थी

BHABHUA: बिहार में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की पोल खोलने आज 6 से 8 साल के मासूम बच्चे कलेक्ट्रेट पहुंच गये। बच्चे कह रहे थे-स्कूल में पीने का पानी नहीं है, टॉयलेट के लिए खेत में जाना पड़ता है। शिक्षक गाली की भाषा में छात्रों से बात करते हैं। बच्चे डीएम साहब से मिलकर उन्हें अपना दर्द बताना चाहते थे लेकिन कलेक्ट्रेट पहुंच गये दलित और अति पिछड़े तबके से आने वाले मासूम बच्चों से मिलने के लिए जिलाधिकारी को फुर्सत नहीं मिली।


कैमूर का वाकया

दरअसल बिहार के भभुआ जिला मुख्यालय कैमुर कलेक्ट्रेट परिसर में करीब एक दर्जन बच्चे डीएम से मिलने पहुच गये। उनकी उम्र 6 से 8 साल थी। वे डीएम को बताना चाह रहे थे कि सरकारी स्कूल में उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल में पानी की व्यवस्था है ही नहीं। शौच के लिए खेत में जाना पड़ता है। स्कूल के टीचर छात्रों से गालियों के लहजे में ही बात करते हैं। ये सारे बच्चे भभुआ जिले के सिकंदरपुर उत्क्रमित मिडल स्कूल के छात्र हैं।


डीएम को फुर्सत नहीं मिली

सिकन्दरपुर मिडल स्कूल के ये बच्चे जब कलेक्ट्रेट पहुंचे तो डीएम अपने कार्यालय में बैठे थे। बच्चों ने डीएम के स्टेनो से मिलकर कहा कि वे डीएम साहब से मिलकर अपनी पीड़ा बताना चाहते हैं। स्टेनो ने बच्चों के आने की खबर अपने साहब तक पहुंचायी लेकिन साहब बेहद बिजी थे। लिहाजा अंदर से मैसेज आया-बच्चों को नजारत डिप्टी कलेक्टर से मिल लेने को कहिये। स्टेनो ने बच्चों को बताया कि डीएम साहब काम में व्यस्त हैं इसलिए वे नजारत के डिप्टी कलेक्टर से मिल कर अपनी शिकायत रख दें। उसके बाद बच्चों को एनडीसी अमरेश कुमार अमर के पास भेज दिया गया।


बिहार में सरकारी स्कूल की दुर्दशा

सिकन्दरपुर से आये छात्रों संदीप पासवान, मिथलेश पासवान, मुकेश कुमार विश्वकर्मा, अमित कुमार,  राजा कुमार पाल, चंद्रदीप कुमार ने बताया कि स्कूल का चापाकल करीब 5 दिनों से खराब है। भीषण गर्मी है लेकिन स्कूल में पीने का पानी नहीं है। जिन बच्चों के पास बोतल है वह घर से पानी लेकर आते हैं। छात्रों ने ये भी बताया कि स्कूल में थाली-प्लेट भी नहीं है, मिड डे मिल के लिए भी बच्चों को घर से बर्तन लेकर आना पड़ता है। स्कूल में शौचालय भी नहीं है। टॉयलेट के लिए बच्चों को खेत में जाना पड़ता है। छात्रों ने बताया कि स्कूल में पढाई भी नहीं हो रही है।


छात्रों ने कहा कि शिक्षक हर रोज लेट से स्कूल आते हैं। प्रार्थना के बाद शिक्षक एक जगह बैठकर आपस में लुडो खेलते हैं। सिकन्दरपुर उत्क्रमित मिडल स्कूल के छात्र विवेक पाल ने कहा कि स्कूल के कुछ शिक्षक तो गाली के लहजे में ही बात करते हैं। छात्रों ने कहा वे स्कूल जाने का सिर्फ रस्म निभा रहे हैं। पढ़ाई तो हो नहीं रही है। ऐसे में छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। बच्चों के पास शिकायतों का अंबार था लेकिन डीएम साहब को फुर्सत नहीं मिली। डीएम ने उन्हें एनडीसी अमरेश कुमार अमर से मिलने को भेज दिया था। एनडीसी ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को छात्रों की समस्याओं के बारे में जानकारी दे दी गयी है। डीईओ मामले की जांच कर छात्रों की समस्या का समाधान करायेंगे।