PATNA : बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ दुर्व्यवहार के मामले में जिसमें डीएसपी और थानेदार के ऊपर आरोप लगा है उन्हें अब भी अपने मौजूदा पोस्टिंग से नहीं हटाया गया है. इसको लेकर आज फिर विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया. भाजपा विधायकों ने सदन में नारेबाजी करने लगे और मांग करने लगे कि सरकार की तरफ से पहले जवाब आये फिर सदन चलने देंगे. भजपा विधायकों के बाद राजद विधयाकों ने भी हंगामा शुरू कर दिया.
दरअसल, सदन शुरू होते ही भाजपा विधायक संजय सरावगी ने सवाल उठा दिया कि लखीसराय वाले मामले में अब तक सरकार की तरफ से जवाब नहीं आया है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि ये बड़ा गंभीर मामला है. अख़बार में आता है कुछ और हुआ नहीं यह बहुत निंदनीय बात है. दारोगा DSP अभी तक बना हुआ है. आज सब कम छोड़ कर पहले इस बात पर फैसला हो जाना चाहिए.
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अभी संसदीय कार्य मंत्री सदन में मौजूद नहीं हैं, जब वह आयेंगे तो सरकार इस पर जवाब देगी. लेकिन विधायक नहीं माने. विधायकों ने कहा कि जब तक सरकार के तरफ से जवाब नहीं आएगा तब तक वह सदन नहीं चलने देंगे. इसके बाद डिप्टी सीएम रेणु देवी भी उठीं और सदन को चलाने की बात कही, लेकिन विधायकों ने उनकी भी नहीं सुनी और उन्हें बैठना पड़ा. हंगामा बढ़ते देख 11:45 तक सदन स्थगित कर दिया गया. स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने 1 बजे मंत्रणा समिति की बैठक बुलाई है.
बता दें कि मामला लखीसराय से जुड़ा हुआ है. लखीसराय के डीएसपी और दो थानेदारों के ऊपर स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा था. इस मामले में बीजेपी के 2 विधायकों ने सदन के अंदर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया और राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी तक को विधानसभा में तलब किया गया था. विधानसभा में बीएसपी और थानेदारों को हटाए जाने का ऐलान खुद स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने किया था. कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस पर सहमति बनी थी लेकिन 10 दिन गुजर जाने के बावजूद डीएसपी साहब और थानेदार अपने जगह पर बने हुए हैं.
बताते चलें कि बिहार विधानसभा में 28 फरवरी को स्पीकर से दुर्व्यवहार के मामले में काफी हंगामा हुआ था. विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के विधायकों ने आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर बाहर निकलते वक्त मुख्य सचिव और डीजीपी ने जिस तरह का बर्ताव दिखाया वह उपहास उड़ाने जैसा था. इस मामले में सदन को गंभीर होना चाहिए.