सिर्फ विपक्ष नहीं NDA भी हो रहा एकजुट, अबतक 19 पार्टियों को भेजा गया न्योता, जानिए क्या है BJP का सियासी प्लान

सिर्फ विपक्ष नहीं NDA भी हो रहा एकजुट, अबतक 19 पार्टियों को भेजा गया न्योता, जानिए क्या है BJP का सियासी प्लान

PATNA : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए अपने 25 साल पुरे होने पर 18 जुलाई को अपना सिल्वर जुबली मनाई जा रही है। इसके साथ ही भाजपा नई दिल्ली में गठबंधन के घटक दलों की बड़ी बैठक भी आयोजित कर रही है। इस बैठक में शामिल होने के लिए अबतक 19 दलों को निमंत्रण भेजा जा चूका है। यह बैठक पीएम मोदी की अध्यक्षता में होने वाली है। इस लोकसभा चुनाव के पहले शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। 


जानकारी के अनुसार, 18 जुलाई को भाजपा के तरफ से जिन दलों को बुलाया गया है उसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की लोक समता पार्टी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, संजय निषाद की निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल (Nishad)- निषाद पार्टी,अनुप्रिया पटेल का अपना दल (सोनेलाल), जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)- हरियाणा, जनसेना- पवन कल्याण, आंध्र प्रदेश, एआईएमडीएमके- तमिलनाडु, तमिल मनिला कांग्रेस, इंडिया मक्कल कलवी मुनेत्र कड़गम, झारखंड की आजसू, एनसीपी- कोनरॉड संगमा, नागालैंड की एनडीपीपी, सिक्किम की एसकेएफ, जोरमथंगा की मिजो नेशनल फ्रंट, असम गण परिषद, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी- ओमप्रकाश राजभर, शिवसेना (शिंदे ग्रुप) और एनसीपी (अजित पवार ग्रुप) को निमंत्रण भेजा गया है। 


दरअसल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए का गठन आज से लगभग 25 साल पहले मई के महीने में किया गया था। उस समय इसकी अगुवाई अटल बिहारी वाजपेयी कर रहे थे, लिहाजा पहले अध्यक्ष भी इन्हीं को बनाया गया था। यह पूरा प्रकरण साल 1998 में हुआ था। इससे पहले देश में अटल जी सरकार थी। लेकिन इनकी सरकार चल नहीं पाई थी और देश मध्यावधि चुनाव के मुहाने पर आ खड़ा हुआ। ऐसे में 16 फरवरी से 28 फरवरी 1998 के बीच तीन चरणों में चुनाव संपन्न हुए और किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। इसी दौरान एनडीए का गठन हुआ था। उसके बाद इसका स्वरुप बदलता गया और अध्यक्ष भी बदलते गए। वर्तमान में बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसके अध्यक्ष हैं। गठन के बाद से अब तक एनडीए में करीब 41 राष्ट्रीय या राज्य की पार्टियां सदस्य रह चुकी हैं, जिसमें ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, जेडीयू भी शामिल रही हैं। 


बताया जा रहा है कि,18 जुलाई को बीजेपी ने एनडीए सहयोगियों की बैठक इसलिए भी बुलाई ताकि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए सहयोगी दलों की राय ली जा सके। पार्टी के एक बेहद करीबी सूत्र बताते हैं कि, इस बैठक के पीछे छिपा हुआ एजेंडा ये भी है कि एनडीए  बंगलोर में पहले से तय विपक्षी दलों की बैठक का रंग फीका कर सके। इसके साथ ही ये मैसेज भी दिया जा सके कि बीजेपी अपने बूते तो मजबूत है ही, जातीय समीकरण के हिसाब से भी अपने सहयोगी दलों के साथ पहले से अधिक मजबूत हो गई है। 


आपको बताते चलें कि, बीजेपी इस बैठक के जरिए  शक्ति प्रदर्शन कर यह भी बताना चाह रही है कि अगर विपक्ष एकजुट हो रहा है तो हम भी एक हैं। बीजेपी ने जिन दलों को न्योता दिया है, वह सभी अपने-अपने राज्यों में अच्छा खासा वोटबैंक रखते हैं। इसके साथ ही  इनमें से कई दलों के नेता अपने राज्यों की सरकार  में भी शामिल रहे चुके हैं, इस लिहाजा इनके पास सरकारी कार्यों का भी अपना एक अनुभव है।