विवादित बयान के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बदले बोल, खुद को शबरी के जूठे बेर खाने वाले प्रभू श्रीराम का भक्त बताया

विवादित बयान के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बदले बोल, खुद को शबरी के जूठे बेर खाने वाले प्रभू श्रीराम का भक्त बताया

PATNA: अपने विवादित बयान से अक्सर चर्चा में रहने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रेशेखर के खिलाफ हिन्दू शिवभवानी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लव कुमार सिंह रुद्र ने पटना के कोतवाली थाने में मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए थानाध्यक्ष को आवेदन दिया। जिसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के सूर अचानक बदल गये। अब वे राम भक्त हो गये हैं। 


उन्होंने कहा है कि शबरी के जूठे बेर खाने वाले प्रभू श्रीराम के वे भक्त हैं। इससे पहले उन्होंने रोहतास में राम मंदिर को लेकर कहा था कि मंदिर का रास्ता मानसिक गुलामी का रास्ता होता है और स्कूल का रास्ता प्रकाश दिखाता है। उनके इस बयान को लेकर हुए विवाद के बाद वे बैकफुट पर आ गये हैं। उनके इस बयान को लेकर सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा जिसके बाद राजद नेता ने यू टर्न मारा है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के निर्देश के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने सफाई दी है। उन्होंने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि शबरी के जूठे बेर खाने वाले प्रभू श्रीराम का भक्त हूं। शबरी के जूठे बेर खाने, अहिल्या के तारणहार व त्याग की प्रतिमूर्ति प्रभु श्रीराम का भक्त हूँ। 


प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि शबरी व अहिल्या के बेटे-बेटियों को मंदिर जाने पर रोकने व अपवित्र समझकर गंगा जल से धोने वाले धर्म के नाम पर धन्धा करने वालों व बेचने वालों के खिलाफ समाज को जागृत करने की जिम्मेदारी हम समाजवादियों की है। मनुवाद द्वारा बनाए गए दलित कुल में जन्मे तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द साहब व उनकी धर्म पत्नी को दिनांक-18 मार्च, 2018 को जगन्नाथपुरी मंदिर में जाने से रोकने, 20 जून, 2023 को अपने 65वें जन्मदिन के मौके पर आदिवासी समाज से आने वाली द्रोपदी मुर्मू को जगन्नाथ मंदिर के गर्भ में जाने से रोकने तथा मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जीतन राम मांझी जी द्वारा मधुबनी के दुर्गा मंदिर में पूजा के उपरान्त गंगा जल से धोने जैसा पाप करने वाले इन साम्प्रदायिक नेताओं की बोली तब क्यों नहीं निकली। 


उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म को छूत अछूत में बाँटने वाले षडयंत्रकारी, मनुवादी / नफरतवादी / सम्प्रदायवादी के विरूद्ध हूँ। मेरी लड़ाई जीवन पर्यन्त जारी रहेगी। गौरतलब है कि देश की प्रथम महिला शिक्षिका व नारी शिक्षा की प्रतिमूर्ती माता सावित्रीबाई फूले द्वारा कभी कहा गया था कि "मंदिर का मतलब मानसिक गुलामा का रास्ता। स्कूल का मतलब जीवन में प्रकाश का रास्ता" डेहरी ऑन सोन (रोहतास) की एक महती जनसभा में विधायक फतेह बहादुर सिंह के बोलने व लिखने पर उनकी जीभ एवं गर्दन की कीमत लगाने वालों को चेतावनी देते हुए मात्र सावित्री बाई फूले के कथनों को दोहराया गया। 


मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि विभिन्न सामाचार पत्रों में मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, जो सर्वथा अनुपयुक्त है। मेरा प्रयास है कि देश की आम-अवाम् को धर्म का व्यापार करने वाले, धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नफरतवादियों, लोकशाही की हत्या करने वाले तथा तनाशाही थोपने वाले सम्प्रदायिक षडयंत्रकारियों से सचेत किया जा सके।


आगे उन्होंने कहा कि क्या ऐसे तत्त्वों को यह बताने की हिम्मत है कि मनुवाद द्वारा धर्म की आड़ में अस्पृश्य (अछूत) कुल में जन्म लेने वाले बाबा साहब डॉ० भीमराव आंबेडकर हीं क्यों अकेले भारतीय हैं जिन्हें सदी के ज्ञान के प्रतीक के रूप में विश्व जानती है तथा माता सावित्री ही क्यों प्रथम महिला शिक्षिका बनी ? कथित मनुवादी कुल के क्यों नहीं ? मेरा स्पष्ट मानना है कि ईश्वर किसी जाति के दास नहीं हैं (जिस बात का समर्थन हिन्दुवादी संगठन संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर चुके हैं) वरना शूद्रों और नारियों को तो मनुवादी धर्म में शिक्षा व संपत्ति का अधिकार भी नहीं था। धर्म को धन्धा बनाकर राजनीति करने वाले भाजपाईयों से इसका जबाव चाहता हूँ।


चंद्रशेखर ने आगे कहा कि यह भी विचारणीय प्रश्न है कि आस्था व जीविका के बीच विभ्रान्ति उत्पन्न करने वाले भाजपा के लोग क्या यह कहने की स्थिति में हैं कि भाजपा को कॉलेजों एवं स्कूलों में जाने वाले बच्चों व उनके माता-पिता का वोट नहीं चाहिए? क्या उन्हें रोजगार तलाशने वालों का वोट नहीं चाहिए ? उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जीविका का यक्ष प्रश्न जीवन में अधिक प्रसांगिक है। मुझे भाजपा वालों के प्रत्युत्तर का इंतजार है।