PATNA : शिक्षा विभाग ने अब राजकीयकृत उच्च विद्यालयों के हेडमास्टरों पर नकेल कसने की कवायद शुरू कर दी है. अब हेडमास्टर साहब की मनमानी नहीं चलेगी. हेडमास्टर साहब अपनी मनमर्जी से विकास कार्यों, योजना मद के कार्य के साथ ही साथ विद्यालय प्रबंध समिति की राय या उनके सदस्यों की अनदेखी नहीं कर पायेंगे.
अब शिक्षा विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अपने जिले में राजकीयकृत हाईस्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति का गठन करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही हर माह डीईओ को विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक भी बुलाने को कहा है. इसके सिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक गिरिवर दयाल सिंह ने फरवरी के अंत तक ही समिति की पहली बैठक कराने का आदेश दिया है. वहीं ऐसा नहीं करने वाले प्रधानाध्यापकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अनुशासनिक कार्रवाई का प्रस्ताव डीईओ देंगे और इसकी अनुशंसा भी सुनिश्चित करायेंगे. जो डीईओ ऐसा नहीं करेंगे उनपर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि बिहार विधानमंडल के सदस्यों की शिकायतों के बाद यह आदेश दिया गया है. शिकायत थी कि प्रधानाध्यापक और डीईओ विद्यालय प्रबंध समिति की नियमित बैठक कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं. विद्यालय प्रबंधन एवं विकास समिति के अध्यक्ष प्रधानाध्यापक होते हैं. सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, गणित के शिक्षक, बच्चों के एक पुरुष तथा एक महिला अभिभावक, एक एससी-एसटी अभिभावक, एक ओबीसी या अल्पसंख्यक अभिभावक, पंचायती राज संस्था के प्रतिनिधि, जीविका समूह की एक सदस्य, ग्रामीण शिक्षा समिति के सदस्य समेत कुल 15 सदस्यीय यह कमेटी होती है.