Bihar News: शौचालय की टंकी में दम घुटने से दो किशोरों की मौत, गांव में पसरा मातम Bihar News: बिहार में अब रेरा को भेजनी होगी भवन निर्माण के नक्शे की कॉपी, सरकार ने सभी नगर निकायों को जारी किया आदेश Bihar News: बिहार में अब रेरा को भेजनी होगी भवन निर्माण के नक्शे की कॉपी, सरकार ने सभी नगर निकायों को जारी किया आदेश Vaishno Devi Yatra: फिर से शुरू होगी वैष्णो देवी की यात्रा, सामने आ गई तारीख; रखना होगा इन बातों का ख्याल Delhi High Court Bomb Threat: दिल्ली हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, जजों और वकीलों को बाहर निकाला गया Delhi High Court Bomb Threat: दिल्ली हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, जजों और वकीलों को बाहर निकाला गया BIHAR NEWS : परिवहन विभाग के मैप से गायब हुआ बिहार का यह जिला, इसके अलावा हुआ यह खेल ; मचा हंगामा Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र पर इस बार 10 दिन का विशेष संयोग, जानें... तिथियां और महत्व BIHAR ELECTION : BJP की बड़ी बैठक पटना में, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति तय करने पर जोर; सीट बंटवारे पर भी होगा फैसला Bihar Politics: 'राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज हो फ्रॉडिज्म का केस' गिरिराज सिंह ने क्यों की यह मांग?
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 19 Oct 2024 12:45:32 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार में जहरीली शराब कांड को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर बना हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए बिहार की डबल इंजन सरकार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने एक्स पर आंकड़े शेयर कर कहा है कि शराबबंदी के नाम पर हजारों लोगों की जान लेने वाले नीतीश कुमार महात्मा गांधी बनने का ढोंग कर रहे हैं।
तेजस्वी ने एक्स पर लिखा, “बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकाने खुलवाने वाले तथा शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब से हजारों जाने लेने वाले मुख्यमंत्री अब महात्मा बनने का ढोंग कर रहे है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने शुरू के 10 वर्षों में बिहार में शराब की खपत बढ़ाने के हर उपाय किए और अब अवैध शराब बिकवाने के हर उपाय कर रहे है। क्या मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार मेरे इन तथ्यों को झुठला सकते है?”
नेता प्रतिपक्ष ने लिखा, "2004-05 में बिहार के ग्रामीण इलाकों में 500 से भी कम शराब की दुकानें थीं, लेकिन 2014-15 में उनके शासन में यह बढ़कर 2,360 हो गई। 2004-05 में पूरे बिहार में लगभग 3000 शराब की दुकानें थीं जो 2014-15 में बढ़कर 6000 से अधिक हो गईं। 𝟏𝟗𝟒𝟕 से 𝟐𝟎𝟎𝟓 यानि 𝟓𝟖 साल में बिहार में सिर्फ 𝟑𝟎𝟎𝟎 दुकानें ही खुलीं लेकिन 𝟐𝟎𝟎𝟓 से लेकर 𝟐𝟎𝟏𝟓 तक नीतीश जी ने 𝟏𝟎 साल में इसे दोगुना कर 𝟔𝟎𝟎𝟎 कर दिया। 𝟓𝟖 साल में बिहार में हर साल औसतन 𝟓𝟏 दुकानें खोली गईं, लेकिन 𝟐𝟎𝟎𝟓-𝟏𝟓 के 𝟏𝟎 साल नीतीश राज में हर साल औसतन 𝟑𝟎𝟎 दुकानें खुलीं"।
तेजस्वी ने लिखा, मुख्यमंत्री के ध्यानार्थ शराबबंदी के बाद के भी कुछ तथ्य सांझा कर रहा हूँ।
"राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (𝐍𝐇𝐅𝐒) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में शराबबंदी होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं। वर्तमान बिहार में 𝟏𝟓.𝟓 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं। वहीं, इसकी तुलना में महाराष्ट्र, जहां शराबबंदी नहीं है, वहां शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत महज 𝟏𝟑.𝟗 है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 𝟏𝟓.𝟖 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 𝟏𝟒 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं, फिर भी नीतीश जी अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू है, क्या मजाक है"।
"नीतीश जी की तथाकथित शराबबंदी के बाद भी स्थिति इतनी बदतर है कि एक आंकड़े के अनुसार बिहार में हर दिन औसत 𝟒𝟎𝟎 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है तथा बिहार पुलिस व मद्य निषेध विभाग की ओर से प्रदेश में हर दिन करीब 𝟔𝟔𝟎𝟎 छापेमारी होती है यानि औसत हर घंटे 𝟐𝟕𝟓 छापेमारी होती है। इसका अर्थ है बिहार पुलिस और मद्य निषेध विभाग हर महीने लगभग 𝟐 लाख तथा प्रतिवर्ष 𝟐𝟒 लाख जगह छापेमारी करता है लेकिन इसके बाद भी अवैध शराब का काला काराबोर बदस्तूर जारी है"।
"इसका एक आशय यह भी है कि ज़ब्त शराब को बाद में जेडीयू नेताओं, शराब माफिया और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से बाजारों में बेच दिया जाता है। शराबवंदी के बाद भी एक आंकड़े के अनुसार राज्य में लगभग 𝟑 करोड़ 𝟒𝟔 लाख लीटर से अधिक अवैध देशी और विदेशी शराब पकड़ी जा चुकी है। ये कौन लोग है और किसके अनुमति से शराबबंदी के बाबजूद भी अपना कारोबार चला रहे है?"
"सरकारी आंकड़ों के अनुसार शराबबंदी के उल्लंघन के 𝟖.𝟒𝟑 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कुल 𝟏𝟐.𝟕 लाख लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। इन 𝟏𝟐.𝟕 लाख लोगों में 𝟗𝟓% दलित और दूसरे वंचित जातियों के लोग थे, शराबबंदी के नाम पर सबसे ज्यादा शोषण इन्ही वंचित जातियों के साथ क्यों किया जा रहा है?"
"शराबबंदी नीतीश कुमार के शासन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। बिहार में शराब के नाम पर अवैध कारोबार के रूप में लगभग 𝟑𝟎 हजार करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाया जा रहा है, जिसका सीधा फ़ायदा जेडीयू पार्टी और उसके नेताओं को मिल रहा है"।