साथी की हत्या के बाद मजदूरों में दहशत, कश्मीर छोड़कर अपने-अपने घर लौटने लगे लोग, परिवार भी कर रहे हैं कुशल वापसी की कामना

साथी की हत्या के बाद मजदूरों में दहशत, कश्मीर छोड़कर अपने-अपने घर लौटने लगे लोग, परिवार भी कर रहे हैं कुशल वापसी की कामना

PATNA: जम्मू-कश्मीर में आए दिन बिहारी मजदूरों को आंतकवादी अपना निशाना बना रहे हैं। आतंकियों के हमले में अब तक 4 बिहारियों की मौत हो चुकी है जबकि एक घायल हैं। जम्मू में एक के बाद एक हत्या की इस वारदात से वहां रह रहे अन्य बिहारी मजदूरों में दहशत का माहौल है। ऐसे माहौल में प्रवासी मजदूर जम्मू-कश्मीर छोड़कर अपने-अपने घर जाने को मजबूर हो गए हैं। भारी संख्या में बिहारी मजदूरों के कश्मीर छोड़ने की खबर आ रही है। कश्मीर में रहने वाले बिहारी मजदूरों का कहना है कि अब यहां पर रहना सुरक्षित नहीं है। दीपावली और छठ के मौके पर वे घर जा रहे थे लेकिन अभी जो स्थिति उत्पन्न हो गयी है उसे देखते हुए ज्यादातर लोग अभी से ही घर के लिए निकलने लगे है। 


जम्मू-कश्मीर में रहने वाले बिहारियों का कहना है कि अब वे घर चले जाएगे। यहां रहकर क्या करेंगे। यहां का माहौल खराब हो गया है। अब हमलोगों को भी डर लगने लगा है। यहां काम करने वाला माहौल नहीं है कि हम काम करे। इसलिए हमलोगों ने अब मन बना लिया है कि कश्मीर छोड़कर अब अपने-अपने घर को लौट जाएंगे। वही रहकर अपना और अपने परिवार की परवरिश करेंगे। 


वही कश्मीर में रहने वाले कुछ बिहारियों का यह कहना है आंतकियों द्वारा बिहारियों को जिस तरीके से टारगेट किया गया है इस घटना से वे काफी डरे सहमे हैं। छह सात महीने में यहां कोई दिक्कत नहीं हुई थी लेकिन बीते दिनों यहां की स्थिति काफी बिगड़ गयी है। बिहारियों को ही आतंकी निशाना बना रहे हैं। पहले हम सोचे थे कि एक महीना और रहेंगे फिर कुछ पैसा कमाकर घर चले जाएंगे लेकिन अभी के जो हालात है उसे देखते हुए यहां एक दिन भी गुजारना मुश्किल है। कब कौन आतंकियों के निशाने पर आ जाएगा कहना मुश्किल हैं इसलिए अब उन्होंने यह फैसला लिया है कि वे यहां रुकेंगे नहीं बल्कि अपने-अपने घर की ओर प्रस्थान करेंगे। 


इस घटना से गैर कश्मीरी लोगों में दहशत का माहौल है। रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड और जगह-जगह पर मजदूर अपने घर के लिए रवाना हो रहे हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों के लोगों की भीड़ पलायन करती नजर आ रही है। गौरतलब है कि बीते शनिवार को आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्ट्रीट वेंडर अरविंद कुमार साह की गोली मारकर कर हत्या कर दी थी। वह गोलगप्पा बेचने का काम करता था। अरविंद बिहार के बांका जिले का रहने वाला था। वही इससे पहले आतंकियों ने भागलपुर के विरेंद्र पासवान की हत्या कर दी थी। जिसके बाद कल रविवार की देर शाम अररिया के दो मजदूरों को आतंकियों को निशाना बनाया। 


अनंतनाग के वानपोह में हुए आतंकी हमले में बिहार के रहने वाले राजा ऋषिदेव और योगेन्द्र ऋषिदेव की हत्या कर दी गयी। वही इस दौरान चुनचुन ऋषिदेव गोली लगने से घायल हो गया। आतंकवादी हमले में अररिया जिले के दो मजदूर मारे गए वही एक घायल है। घायल चुनचुन ऋषिदेव मिर्जापुर रानीगंज के वार्ड नंबर 15 का रहने वाला है। घटना के बाद मृतक मजदूरोंं के परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है। पूरे गांव में मातम का माहौल है। परिजनों के आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है। घायल चुनचुन के घर पर कई लोग जुटे हुए हैं। हर कोई आशंकित है कि कहीं उनके अपने के साथ भी कश्मीर में कोई अनहोनी न हो जाए।


चुनचुन के घर पर उनके पिता तेजू ऋषिदेव और पूरा परिवार हताशा की मुद्रा में जमीन पर बैठे हुए हैं। चुनचुन की पत्नी की हिचकियां सन्नाटे को चीरती है। काफी दिलासा देने के बाद वह कहती है कि मेरे पति नौ महीने से जम्मू में हैं। यहां से एक ठेकेदार उन्हेें कश्मीर ले गया था। कई महीने से हम ठेकेदार को फोन करते रहे कि मेरे पति को वापस ले आए। ठेकेदार हर बार जल्द वापस लाने का आश्वसान देता रहा और आज आतंकवादियों की गोली के वे शिकार हो गये। वही घायल चुनचुन के पिता कहते हैं कि पता नहीं उनका लाल कैसा होगा..चुनचुना का पूरा परिवार उसका इंतजार कर रहा है। 


ग्रामीणों का कहना है कि यहां के हरेक घर से एक-दो लोग कश्मीर काम करने गए हुए हैं। उमेश ऋषिदेव और गौतम कहते हैं कि ठेकेदार गांव के कई लोगों को मजदूरी कराने के लिए कश्मीर ले गया है। सभी को मकान निर्माण में लेबर-मिस्त्री का काम लिया जा रहा है। अब तक तो सब ठीक ही चल रहा था लेकिन अब वहां कश्मीर से आ रही खबर ने हमारी नींद-चैन ही उड़ाकर रख दी है।


 रविवार की शाम गांव के किसी भी घर में चूल्हा तक नहीं जला है। किसी ने खाना तक नहीं खाया है। ग्रामीण यह समझ नहीं पा रहे कि अब उन्हें करना क्या चाहिए। कश्मीर में मारे गए दो युवकों में एक योगेंद्र ऋषिदेव का ससुराल भी इसी गांव में है। यहां भी परिजनों के चीख पुकार से माहौल गमगीन है। सास कुमिया देवी, ससुर तागो ऋषिदेव काफी सदमें में हैं। योगेंद्र का घर ससुराल से करीब पांच किमी दूर बनगामा पंचायत के खैरूगंज में है। 


योगेंद्र के घर पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है। पूरे गांव के लोग यहां जुटे हुए हैं। योगेंद्र की मां बरनी देवी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। मिर्जापुर रानीगंज के वार्ड नंबर 15 और खैरूगंज में लोगों ने बताया कि कश्मीर की हालत अब बेहद खराब हो गई है। यहां से वहां जितने मजदूर गए हैं सभी काफी दहशत में हैं। मिर्जापुर की बुजुर्ग महिला कुमिया देवी का दो पोता महेश ऋषिदेव और सुरेश ऋषिदेव घटना के वक्त वहीं था।


कुमिया कहती हैं कि घटना की जानकारी के बाद उनकी अपने पोतों से बात भी हुई। महेश और सुरेश ने बताया कि जब गोलीबारी हुई तो उस वक्त दोनों चुनचुन और योगेंद्र के साथ ही थे। अचानक हुए इस हमले में जान तो बच गई है लेकिन अब वे अपने कमरे में बंद हैं। उनके पास अभी खाने-पीने को कुछ नहीं है। यह कहते हुए कुमिया देवी रोने लगी और अपने पोते की कुशल घर वापसी की भगवान से कामना करने लगी।