रूपेश सिंह हत्याकांड : क्या पुलिस ने बकरा तलाश लिया है, बगैर किसी ठोस सबूत के हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का दावा कर रहे हैं डीजीपी

 रूपेश सिंह हत्याकांड : क्या पुलिस ने बकरा तलाश लिया है, बगैर किसी ठोस सबूत के हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का दावा कर रहे हैं डीजीपी

PATNA : पटना के बहुचर्चित रूपेश सिंह हत्याकांड में क्या पुलिस ने किसी बकरे को तलाश लिया है. 8 दिन पहले हुए इस मर्डर में पुलिस के हाथ कुछ नहीं आया है. न हत्यारे, न हथियार और ना ही हत्या से जुड़ा कोई और सामान. लेकिन आज बिहार पुलिस के डीजीपी ने दावा किया कि एयरपोर्ट पार्किंग के विवाद में रूपेश सिंह की हत्या हुई थी. हत्या किसने करवाई पुलिस ये भी नहीं बता पा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार को फजीहत से बचाने के लिए पुलिस ने बकरा तलाशा है, जिसके माथे मर्डर का आरोप मढ दिया जाये.


क्या बोले डीजीपी
दरअसल बिहार के डीजीपी एस के सिंघल को आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तलब किया था. मामला रूपेश सिंह हत्याकांड का ही था. मुख्यमंत्री ने डीजीपी से अपडेट लिया और फिर जब सिंघल बाहर निकले तो मीडिया ने उन्हें घेर लिया. मीडिया ने पूछा कि रूपेश सिंह हत्याकांड में क्या हुआ. डीजीपी सिंघल बोले “अब तक जो सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आयी है वो ये है कि एयरपोर्ट की पार्किंग को लेकर एक बहुत बडा विवाद चल रहा था. एक और इश्यू था कि रूपेश के परिवार के लोग ठेकेदारी का काम करते थे. ठेकेदारी में किसी विवाद की बात सामने नहीं आयी है. मूल बात ये है कि एयरपोर्ट के पार्किंग विवाद को लेकर हत्या की गयी है.”


डीजीपी ने बताया कि पुलिस ने बहुत काम किया है अब थोड़ा सा काम करना बाकी है जिससे पुलिस का केस स्ट्रांग बन जाये. बहुत जल्द पुलिस इस मामले का उदभेदन कर लेगी. एस के सिंघल ने कहा कि किसी मर्डर के पीछे कई उद्देश्य हो सकते हैं. हमने सारी चीजों की छानबीन की, उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये आई की एयरपोर्ट पार्किंग को लेकर हत्या की गयी है. इसमें कॉंट्रेक्ट किलर के जरिये हत्या की घटना को अंजाम दिलाया गया.


डीजीपी के दावे में कितना दम
रूपेश हत्याकांड के तुरंत बाद जो पहली बात सामने आयी थी वो ये थी कि इस घटना को प्रोफेशनल हत्यारों ने अंजाम दिया है. जिस तरीके से मर्डर किया गया उसे देखकर कोई सामान्य व्यक्ति भी ये बात कह सकता था. लेकिन हत्याकांड के 8 दिन बाद भी डीजीपी यही बात दुहरा रहे हैं. सवाल ये है कि वो कौन से कॉन्ट्रैक्ट किलर थे जिन्होंने रूपेश की हत्या की. पुलिस के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है. पुलिस सैकड़ों लोगों ने पूछताछ करने का दावा कर रही है लेकिन किन लोगों ने रूपेश की हत्या की उसकी कोई जानकारी पुलिस के पास अब तक नहीं है.


रूपेश की हत्या के बाद आस-पास के घरों-दुकानों में लगे सीसीटीवी फुटेज में ये बात सामने आयी थी कि दो बाइक पर चार लोग हत्या करने में शामिल थे. पुलिस उनकी पहचान नहीं कर पायी है. हत्यारे जिस बाइक से आये थे उसका कोई अता पता नहीं लग पाया है. हत्यारों ने जिस पिस्टल का प्रयोग किया था उसके बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है. इन तमाम जानकारियों के बगैर ही पुलिस ये दावा कर रही है कि पार्किंग विवाद के कारण हत्या हुई. अगर पार्किंग विवाद के कारण हत्या हुई और कॉंन्ट्रैक्ट किलर ने मर्डर की घटना को अंजाम दिया तो किसने सुपारी दी, किसे सुपारी दी. पुलिस इसकी भी जानकारी नहीं दी.


पटना पुलिस के एक अधिकारी से हमने बात की. उन्होंने माना कि अभी तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं आया है. पहले रूपेश के किसी लड़की से संबंधों की जांच की गयी. ऐसा कोई सुराग नहीं मिला जिससे ये लगे कि रूपेश के किसी लड़की से संबंध थे और उसके कारण हत्या हुई. उनके मोबाइल का पासवर्ड पत्नी से लेकर बच्चों के पास था. उसमें कहीं कोई आपत्तिजनक चीज नहीं मिली. उसके बाद ठेकेदारी की जांच की गयी. रूपेश के भाई छोटे स्तर की ठेकेदारी करते थे. कोई ऐसा बड़ा ठेका नहीं था और ना ही कोई ऐसा विवाद था जिसके कारण इस प्रोफेशनल तरीके से मर्डर कराया जा सके. लिहाजा पुलिस ने ये अंदाजा लगाया है कि एयरपोर्ट के पार्किंग की ठेकेदारी का ऐसा विवाद हो सकता है जिसके कारण रूपेश का मर्डर हुआ होगा.


लेकिन सवाल ये है कि रूपेश की एयरपोर्ट पार्किंग की ठेकेदारी में क्या भूमिका थी. रूपेश एक निजी एयरलाइंस कंपनी में मैनेजर थे. एयरपोर्ट की पार्किंग की ठेकेदारी एयरपोर्ट ऑथिरिटी देती है. एयरपोर्ट ऑथिरिटी ने अभी जिसे ठेका दे रखा है वे रूपेश से संबंधित नहीं हैं. फिर ऐसा किससे क्या विवाद हुआ कि इस प्लानिंग के तहत मर्डर कराया गया.


जानकार बताते हैं कि रूपेश हत्याकांड को लेकर सरकार और पुलिस भारी दबाव में है. 7 दिन पहले ही मुख्यमंत्री ये एलान कर चुके हैं कि रूपेश मर्डर केस की वे खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. लेकिन अब तक कुछ हासिल नहीं हो पाया है. लिहाजा दबाव में पड़ी पुलिस मर्डर की अपनी थ्योरी तैयार कर रही है. बिहार पुलिस को जानने वाले ये जानते हैं कि ऐसी थ्योरी कैसी तैयार की जाती है. लेकिन जब तक पुलिस कोई ठोस सबूत पेश नहीं करेगी तब तक पुलिस की थ्योरी पर लोग भरोसा कर लेंगे ये कहना सही नहीं होगा.