अभी खत्म नहीं हुआ है JDU में मिशन RCP, ललन सिंह एकदम अकेला कर छोड़ना चाहते हैं

अभी खत्म नहीं हुआ है JDU में मिशन RCP, ललन सिंह एकदम अकेला कर छोड़ना चाहते हैं

PATNA : केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का जब से राज्यसभा टिकट कटा है उसके बाद वह हर दिन अपनी ही पार्टी जेडीयू में हाशिए पर जाते नजर आ रहे हैं। पहले नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा से बेटिकट किया और उसके बाद अब संगठन में भी उनका नेटवर्क कतरा जा रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह ने जिस अंदाज में काम किया है वह इस बात का पक्का उदाहरण है कि आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले नेताओं को कैसे साइडलाइन कर दिया गया। लेकिन अब बचे–खुचे नेता भी आरसीपी सिंह का साथ छोड़ दें इसके लिए मिशन आरसीपी अलोन जारी है। जेडीयू के अंदरखाने चल रही सियासत यह बताती है कि कैसे आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले हर छोटे–बड़े नेता और कार्यकर्ता को उनसे अलग करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। 


एक दौर था जब आरसीपी सिंह को ही जदयू का संगठन माना जाता था। पार्टी का संगठन महासचिव होने के नाते आरसीपी सिंह के ऊपर यह जवाबदेही थी कि वह जमीनी स्तर तक पार्टी के संगठन का ना केवल विस्तार देखें बल्कि उसके कामकाज पर फैसले लें। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जो दबदबा आरसीपी सिंह ने दिखाया वहीं दबदबा उनके केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही एक-एक कर दरकता गया। ललन सिंह केंद्र में मंत्री तो नहीं बन पाए लेकिन जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने आरसीपी सिंह की कमर पार्टी के संगठन में तोड़कर रख दी। आरसीपी सिंह जिस अंदाज में पार्टी को चलाते रहे ललन सिंह उससे ठीक उलट पुराने साथियों के भरोसे पार्टी को मजबूत बनाने में जुटे रहे। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह के करीबी नेताओं को जब पार्टी में साइडलाइन किया गया तो उनका एडजस्टमेंट आरसीपी ने करने का प्रयास भी किया लेकिन इसमें उन्हें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली, नतीजा यह हुआ कि आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले नेता एक-एक कर पाला बदल ललन सिंह के साथ खड़े होते रहे। 


राज्यसभा चुनाव के पहले आरसीपी सिंह ने अपने गांव मुस्तफापुर में ईद की दावत दी थी। इस दावत में शामिल होने वाले पार्टी के ज्यादातर ऐसे नेता जो आरसीपी सिंह के खास माने जाते थे, अब पाला बदल चुके हैं। राज्यसभा टिकट कटने के बाद ऐसे नेताओं को अपना भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा। वहीं दूसरी तरफ ललन सिंह भी ऐसे नेताओं को आरसीपी सिंह के साथ नहीं रहने देना चाहते जिससे संगठन को नुकसान पहुंच सकता है। इसी कड़ी में कई नेताओं को ललन सिंह अपने पाले में ले आए हैं उनकी मुलाकात नीतीश कुमार से करा दी गई है। मकसद केवल एक नजर आता है आरसीपी सिंह को पार्टी में अलग-थलग अकेला छोड़ दिया जाए। यह बात सबको मालूम है कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहेंगे या नहीं यह फैसला प्रधानमंत्री मोदी को करना है लेकिन किसी सदन का सदस्य नहीं होने की वजह से वह ज्यादा दिनों तक केंद्र में मंत्री भी बने नहीं रह सकते हैं। ऐसे में अगर संगठन की तरफ वापस लौटते हैं तो उनका पुराना रुतबा कायम ना रहे या पार्टी में उनके साथ खड़े होने वाले नेताओं की संख्या कम हो इस पर ललन सिंह अपने अंदाज में काम कर रहे हैं।