Bihar Politics : "विरोधियों को टीन का चश्मा लगा हुआ है", होली मिलन समारोह में बरसे बीजेपी विधायक Bihar News : छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में कफ सिरप बरामद, कंटेनर में भरकर लाया गया था माल Bihar Weather Report : होली में बढ़ेगा गर्मी का पारा, मौसम विज्ञान केंद्र की चेतावनी Bihar News : ममेरे भाई की शादी में आए युवक की गोली मार कर हत्या, परिवार में छाया मातम Bihar Education News: शिक्षा विभाग ने विद्यालय शिक्षा समिति सदस्यों की ट्रेनिंग के लिए 20 करोड़ भेजा, पैसे पर गिद्ध दृष्टि...प्रशिक्षण के नाम पर क्या हो रहा, जान लीजिए Success Story: बिहार की इस बिटिया ने पिता की आखिरी इच्छा पूरी की, संघर्ष की कहानी जानकर आंखें नम हो जाएंगी.... शिवहर में दर्दनाक सड़क हादसा, ट्रक की टक्कर से स्कूटी सवार की मौत Expressway In Bihar: बिहार के इस राजमार्ग पर 120 KM गति दौ़ड़ेगी आपकी गाड़ियां, 37 हजार करोड़ से हो रहा निर्माण ट्रेन की चपेट में आने से हाथी की मौत, हटिया-टाटा रूट पर परिचालन बाधित दिल्ली पब्लिक स्कूल की गेट के पास बमबाजी, CCTV में कैद हुई बदमाशों की करतूत
10-Aug-2022 04:54 PM
PATNA : जेडीयू ने बीजेपी के सभी आरोपों का खंडन किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि जेडीयू पर विश्वासघात का आरोप लगा रही बीजेपी पहले अपने गिरेबान में झांककर देखे। ललन सिंह ने अरुणालच प्रदेश में जेडीयू के विधायकों को तोड़ने का आरोप बीजेपी पर लगाया है। उन्होंने कहा कि बिहार में जेडीयू को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने आरसीपी सिंह को अपनी साजिश का हिस्सा बनाया। पूरे सम्मान के साथ जेडीयू ने गठबंधन धर्म का पालन किया लेकिन बीजेपी ने जेडीयू को कमजोर करने की कोशिश की। एक तरफ जहां ललन सिंह ने आरसीपी सिंह को बीजेपी का एजेंट करार दिया तो वहीं दूसरी तरफ सुशील मोदी से सहानुभूति जताई।
जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि उसने क्या किया है। 17 वर्षों तक जेडीयू लगातार सिर्फ इसलिए एनडीए गठबंधन रही क्योंकि उस समय के नेता अपने सहयोगी दलों का सम्मान करते थे। उन्होंने कहा कि एनडीए में रहते हुए बीजेपी के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश में चुनाव लड़कर जेडीयू ने विधानसभा की सात सीटों पर जीत हासिल की। बाद में जेडीयू के विधायकों ने अरुणाचल में बीजेपी सरकार को लिखित समर्थन दिया, इसके बावजूद जेडीयू के 6 विधायकों को तोड़ा गया, क्या यही गठबंधन धर्म का पालन है।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जेडीयू की जरुरत थी लेकिन साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने साजिश कर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को अपनी साजिश का हिस्सा बना लिया। साजिश के तहत बीजेपी ने अपने नेताओं को लोजपा की सदस्यता दिलाकर जेडीयू के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा। चुनाव हारने के बाद सभी वापस बीजेपी में चले गए, क्या यही गठबंधन धर्म का पालन है।
ललन सिंह ने कहा कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 43 सीटें मिलने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन बीजेपी ने जबरदस्ती नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनवाया और बाद में उनके छुटभैया नेता खुद को बड़ा भाई बताकर कहने लगे कि बीजेपी की कृपा से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। साल 2005 में जेडीयू के पास 88 सीटें थीं, तब भी मुख्यमंत्री ने कभी यह नहीं कहा कि हम बड़े भाई है और बीजेपी छोटा भाई है। पार्टी के किसी नेता और कार्यकर्ता ने यह नहीं कहा कि बीजेपी छोटी पार्टी है।
उन्होंने कहा कि पूरे सम्मान के साथ जेडीयू ने गठबंधन धर्म का पालन किया है। 2010 के चुनाव में जेडीयू को 118 सीटें मिली थीं, चाहते तो अकेले सरकार बना सकते थे लेकिन नीतीश कुमार ने बीजेपी को बराबर की हिस्सेदारी दी। 2015 में महागठबंधन से नीतीश कुमार जीते, बाद में जब 2017 में एनडीए में शामिल हो गए तो कहा गया कि जनमत का सम्मान हुआ है और आज जनमत के अपमान की दुहाई दे रहे हैं।
जेडीयू अध्यक्ष ने कहा कि जनता ने देश की सत्ता सेवा के लिए सौंपा था लेकिन पूरे देश में तनाव पैदा कर दिया, तनाव करके विकास नहीं किया जा सकता है। बीजेपी के लोग पूरे देश का माहौल खराब कर रहे हैं। ललन सिंह ने महंगाई, रोजगार, अग्निपथ स्कीम को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बीजेपी की सोंच से देश तरक्की नहीं करने वाला है। आरसीपी सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार के भरोसे को तोड़ा।
नीतीश कुमार ने आंख मूंदकर आससीपी पर भरोसा किया लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार के पीठ में छूरा भोकने का काम किया। भारतीय जनता पार्टी के एजेंट बनकर आरसीपी जेडीयू बने रहे। उन्होंने कहा कि सुशील मोदी तो नीतीश कुमार के मित्र हैं जिसकी सजा भी उन्हें मिल चुकी है, उनपर कुछ बोलना सही नहीं होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर जो कुछ भी कहा है वह सफेद झूठ है। नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है वह पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप है।