PATNA : जेडीयू सांसद आरसीपी सिंह ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के उस वार पर पलटवार किया है जिसमें उन्होनें शराब को दवा बताते हुए थोड़ी-थोड़ी पिया करो की सलाह दी थी। वहीं आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की शराबबंदी से लाखों घरों के लाखों रुपये की बचत हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार में शराबबंदी के बावजूद गरीब तबके के लोगों को थोडी थोड़ी शराब पीने की सलाह पर सांसद आरसीपी सिंह ने नसीहत देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को पहले अपना हेल्थ चेकअप करवा लेना चाहिए। उन्होनें कहा कि महागठबंधन के लोगों के पास शराबबंदी के खिलाफ कोई मुद्दा ही नहीं है वे फील्ड में जाकर क्या ये कहेंगे कि वे बिहार में फिर से शराब चालू करेंगे।
बता दें कि मांझी ने कहा था कि गरीबों के थोड़ा-बहुत पीने से नीतीश कुमार को कोई एतराज नहीं होना चाहिये। बिहार में नेता, मंत्री, अफसर सब पी रहे हैं। मांझी ने कहा कि गरीबों को दारू को दवा समझ कर पीना चाहिये। रात में सोने से पहले थोड़ी शराब पीने से कोई नुकसान नहीं होता. इससे नींद अच्छी आती है और गरीब सुबह उठकर ज्यादा तरोताजा होकर काम कर सकते हैं।
पटना में बिहार प्रदेश छात्र जनता दल (यू0) के बैठक के बाद सांसद आरसीपी सिंह ने शराबबंदी कानून पर कहा कि किसी भी कानून को लागू किया जाता है तो उसे तोड़ने वाले भी कम नहीं है मर्डर जैसे जघन्य अपराध जिसकी सजा फांसी है उस कानून को भी कुछ लोग तोड़ने से बाज नहीं आते फिर शराबबंदी कानून तो सामाजिक जागरुकता से जुड़ा हुआ है जैसे-जैसे इस विषय पर लोगों की जागरुकता बढ़ती जाएगी ये अपने आप कम होता चला जाएगा। उन्होनें कहा कि कोई सौ बार कानून तोड़ ले लेकिन एक न एक दिन तो गिरफ्तर में आएगा ही। आरसीपी सिंह ने कहा की नीतीश कुमार की शराबबंदी ने बिहार के लाखों परिवार में खुशहाली ला दी है। जो लोग शराब पीते थे उनके यहां महीने में हजारों रुपये यूं ही बर्बाद हो जाते थे। अगर महीने में छह से नौ हजार रुपये शराब के बचते हैं तो जोड़ ले कि पिछले कई वर्षों में उन परिवार के लाखों रुपये बच गए।
पटना में बिहार प्रदेश छात्र जनता दल (यू0) का बैठक आयोजित है। जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) रामचन्द्र प्रसाद सिंह के अलावे छात्र जदयू के प्रभारी डाॅ0 रणवीर नन्दन शामिल हुए। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बैठक बुलाई गई है उम्मीद जताई कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय छात्रों को दिए जाएंगे।