PATNA : द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नहीं जाने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है. इसी बीच आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि मैं नीतीश कुमार के मन की बात नहीं जनता हूँ, लेकिन भारत का संविधान जनता हूँ और इसमें नहीं लिखा है कि राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री को जाना अनिवार्य है. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के बयान पर भी जगदानंद सिंह ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि 80 साल की उम्र जरुर है, लेकिन उन्मादियों के खिलाफ आज भी लगाई लड़ने के लिए हम तैयार हैं.
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार के नहीं जाने पर कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्री गये हैं या नहीं ये भी जानकारी हमारे पास नहीं है. यदि सभी मुख्यमंत्री गये हैं और नीतीश कुमार नहीं गये हैं, तो इसके बारे में वो खुद देंगे. लेकिन मुझे लगता है कि नीतीश कुमार के नहीं जाने के पीछे राज्य के 12 करोड़ जनता की चिंताए हैं, जो सूखे से पीड़ित हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार क्यों नहीं गये, वो खुद बता सकते हैं.
जगदानंद सिंह ने कहा कि बिहार में आज पीने का पानी नहीं है और खेत सूखे रहे हैं. आज राज्य में साल 1967 से 20 गुना ज्यादा सूखे की स्थिति है. 12 करोड़ जनता की लड़ाई के बीच यदि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं गये, तो ये संविधान के खिलाफ तो नहीं है. नीतीश कुमार जब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, वो किसी के सहानुभूति के पात्र नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जितनी जिम्मेदारी सरकार की है, उतनी ही जिम्मेदारी आरजेडी की भी है, क्योंकि जनादेश हमें मिला था. आरजेडी सरकार को जगाने में लगी हुई है. आज नीतीश कुमार जग गये हैं, बिहार की समस्या हल करने में लगे हैं, तो हमारी सहानुभूति उनके साथ है.
वहीं, संजय जायसवाल द्वारा जगदानंद सिंह के उम्र पर दिए गये बयान पर आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि जब भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी, उस वक्त 80 साल के वीर कुवर सिंह जी ने लड़ाई की अगुवाई की थी. हमारी उम्र 80 साल की जरुर है, लेकिन उन्मादियों के खिलाफ आज भी लगाई लड़ने के लिए हम तैयार हैं. उम्र किसी के दया का पात्र नहीं होता है. मनुष्य के भीतर इच्छाए, जब तक जिन्दा है तक तक उम्र बाधा नहीं बनती है. संजय जायसवाल अभी नौसिखिया हैं. जितनी उनकी राजनितिक जीवन हुई है, उतनी मेरी समाजवादी अवधि है. मैं 1974 और 90 की उपज नहीं हूँ, मैं लोहिया के समाजवाद की उपज हूँ. इसलिए मुझे समझने में लोग बेवकूफीकर रहे हैं.