राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज इन विभूतियों को भारत रत्न से करेंगी सम्मानित, सम्मान समारोह में CM नीतीश भी रहेंगे मौजूद

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज इन विभूतियों को भारत रत्न से करेंगी सम्मानित, सम्मान समारोह में CM नीतीश भी रहेंगे मौजूद

PATNA : पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर को शनिवार को भारत रत्न दिया जाएगा। इस समारोह में बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा शामिल होंगे। स्व. कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने के लिए 30 मार्च को राष्ट्रपति भवन में समारोह आयोजित किया गया है। स्व. ठाकुर के पुत्र व जदयू सांसद रामनाथ ठाकुर खुद इस सम्मान को प्राप्त करेंगे। इसको लेकर सीएम शुक्रवार की देर शाम दिल्ली पहुंच भी गए। मुख्यमंत्री का दिल्ली में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात का भी कार्यक्रम है।


वहीं, समारोह में भाग लेने के लिए स्व. कर्पूरी ठाकुर के अन्य परिजन भी शनिवार को दिल्ली पहुंचेंगे। पार्टी के प्रधान महासचिव व राजनीतिक सलाहकार के.सी. त्यागी ने इसे समाजवादियों के लिए बहुत बड़ा दिन बताया है। केन्द्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को उनकी 100 वीं जयंती के ठीक एक दिन पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने का एलान किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विभिन्न क्षेत्रों में देश के लिए अतुलनीय योगदान देने वाली पांच हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित करेंगी। सुबह 11 बजे से राष्ट्रपति भवन में सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व पीएम नरसिंह राव,  बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर व कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को आज देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा।


मालूम हो कि, कर्पूरी ठाकुर ने सन् 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव जीता और महज 28 वर्ष की उम्र में विधायक बन गए थे। इसके बाद जब तक जीवित रहे लोकतंत्र के किसी न किसी सदन में सदस्य के रूप में मौजूद रहे। 1970 से 1979 के बीच बिहार के दो बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। वह 22 दिसंबर 1970 को पहली बार मुख्यमंत्री बने पर उनकी सरकार 163 दिन ही चली थी। 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद वे फिर सीएम बने पर तब भी दो साल से भी कम समय तक उनका कार्यकाल रहा।


उधर, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। इसके बावजूद घर, गाड़ी और जमीन, कुछ भी नहीं था। राजनीति की इसी ईमानदारी ने उन्हें जननायक बना दिया। कर्पूरी ठाकुर समाज के पिछड़ों के विकास के लिए जितने जागरूक थे, राजनीति में परिवारवाद के उतने ही विरोधी भी थे। इसीलिए जब तक वह जीवित रहे, उनके परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं आ पाया। 17 फरवरी 1988 को उनका निधन हो गया था। तब उनकी उम्र 64 साल थी।