पूर्णिया के विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितंबर को भव्य कार्यक्रम, मिथिला कला उत्सव का होगा आयोजन

पूर्णिया के विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितंबर को भव्य कार्यक्रम, मिथिला कला उत्सव का होगा आयोजन

PURNEA: कला केवल स्वांत सुखाय ही न हो, बहुजनहिताय भी हो। कला के माध्यम से समाज में निरंतर जन मानस को जागरूक करने की प्रक्रिया पीछे मुड़ के देखने से पता चलता है कि कई युगो से चलता आ रहा है। इसी क्रम में संस्कार भारती बिहार प्रदेश बिहार में बोली जाने वाली मुख्य पांच भाषा बोली जिसमें मैथिली, अंगिका, मगही, वज्जिका और भोजपुरी बोली जाने वाली भाषा के माध्यम से कला संगम सितंबर माह में या यूं कहे पूरे महीने जगह जगह कई जिलों का समूह में बांट के उनके भाषा में बोली जाने वाली भाषा के अनुसार कला संगम का आयोजन किया जा रहा है।


कला के माध्यम से लोगो को प्रकृति से जुड़ने की राह की ओर अग्रसर होने में जागरूक अपने लोक परंपराओं के द्वारा करेगी क्योंकि अपनी परंपरा से लोग जुड़े होते है। जिससे उनके जेहन में कलाकार के द्वारा कही जाने वाली बाते जल्द समझ में आयेगी। प्रकृति की दशा देख रहे है, जिसके कारण लोग प्रकृति का प्रकोप झेल रहे है। चिड़िया चुनमुन कई ऐसे जानवर जो विलुप्त होते जा रहे हैं, जो इस समाज के लिए ठीक नहीं है और जो आगे चल कर और ही भयावह स्थिति का रूप ले सकते है। 


वहीं परिवार में एकल परिवार का चलन ठीक ही नहीं। एक गलत प्रचलन का रूप लेता जा रहा है। एकल परिवार होने के कारण परिवार में तलाक, विवाद, संपत्ति के लिए लड़ाई में हत्या जैसी घिनौनी विचार आने लगे है जबकि परिवार जब एक साथ रहते है तो सभी एक दूसरे के दुख सुख, किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी से मिलकर निपटाया जाता है। वहीं बच्चे अपने बुजुर्गो के संपर्क में रह के अपनी संस्कृति सभ्यता आहार व्यवहार सभी की जानकारी ले पाते हैं। आने वाली पीढ़ी में सहनशीलता आदर सम्मान वाले भाव उत्पन्न होते हैं। ये कलाकार अपने कला के माध्यम से लोगो को जागरूक वो भी मनोरंजक प्रक्रिया के द्वारा करेंगे। जिससे लोगो में उबाऊ न लगे वही लोगों सरल माध्यम से समझ में भी आ जाए।


संस्कार भारती के ऐसे पांच मूल उद्देश्य है जिसमे कलाकार अपनी रचना, गीत, नृत्य और चक्षुष कला के माध्यम से प्रदर्शन करेंगे। वहीं मैथिली साहित्य घरेलू उपकरण जो अब आम रसोई में दिखाई नहीं देते साथ ही चित्रकला मूर्ति कला के माध्यम से प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिससे पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, दरभंगा जैसे कई और जिला जहां मैथिली बोली जाती है जिला के कलाकार शामिल होंगे।


अनुमानतः ढाई से तीन सौ तक कलाकार शामिल होंगे उद्घाटन और समापन समारोह में केंद्रीय या राज्य के कोई भी गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे वही कुछ नामचीन कलाकार जिनका राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय कला जगत में नाम है उनका भी आना हो सकता है। कलाकार अपना सोशल मीडिया के द्वारा जानकारी ले पाएंगे पेज जो मिथिला कला उत्सव नाम से ही है वही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे ! मेल के द्वारा भी पत्राचार कर पाएंगे।


विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल परोरा के प्रांगण में साथ ही माउंट कार्मेल इंगलिश स्कूल के प्रांगण में सभी  कलाकार आवासन लेंगे और विद्या विहार के विशाल सभागार में कार्यक्रम का आयोजन होगा। पूर्णिया के संस्कार भारती के कार्यक्रम संयोजक अमित कुंवर हैं। ये पूरी जानकारी दी साथ ही राजीव राज मशहूर चित्रकार ने कार्यक्रम के प्रारूप की चर्चा की। वही मनोरंजन कुमार जो प्राइवेट स्कूल एसोसियएशन के उपाध्यक्ष है उन्होंने ने विधि व्यवस्था की जानकारी दी। विद्या विहार के पी आर ओ राहुल शांडिल्य ने कार्यक्रम के संयोजन और संचालन विश्वजीय कुमार सिंह जो वरिष्ठ रंग कर्मी है। उन्होंने कलाकारों की विधि व्यवस्था और कार्यक्रम की जानकारी दी।