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1st Bihar Published by: Updated Sat, 07 Jan 2023 07:33:03 PM IST
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MOTIHARI: चुनावी रणनीतिकार की भूमिका छोड़ कर बिहार के गांवों में पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना पर कई गंभीर सवाल उठाये हैं। प्रशांत किशोर ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर समाज की बेहतरी के लिए कोई सर्वेक्षण हो तो उसका स्वागत किया जाना चाहिये। लेकिन बिहार की जातिगत जनगणऩा सिर्फ लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश है। इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। इससे समाज के किसी वर्ग का कोई फायदा नहीं होने वाला। इस जनगणना का सिर्फ और सिर्फ एक मकसद है कि समाज को उलझा कर अगला चुनाव निकाल लिया जाये।
प्रशांत किशोर के सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को बताना चाहिये कि बिहार में जातिगत जनगणना से क्या परिवर्तन होने वाला है. अगर जातिगत जनगणना में किसी जाति की आबादी का पता चल जाता है तो उसकी बेहतरी के लिए क्या योजना है. क्या सरकार के पास कोई रणनीति है. देश में हर दस साल में दलितों की आबादी की संवैधानिक तौर पर गणना होती है. क्या उससे दलितों की स्थिति सुधर गयी।
लोग नीतीश की नियत समझे
प्रशांत किशोर ने कहा कि लोगों को नीतीश कुमार की नियत समझनी चाहिये. नीतीश कुमार बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि उन्हें किसी जाति को एससी या एसटी में शामिल कराने का अधिकार नहीं हैं. लेकिन फिर भी लुहार जाति को एसटी बना दिया. उनके बच्चों को एसटी का सर्टिफिकेट दे दिया. ऐसे जितने बच्चे नौकरी करने गये उन्हें बाद में नौकरी से निकाल दिया गया. ऐसे ही नोनिया-बिंद समाज को एससी का दर्जा दे दिया। जबकि राज्य सरकार के पास ऐसा करने का कोई अधिकार ही नहीं है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि सिर्फ राजनीति करने के लिए जातिगत जनगणना का ड्रामा किया जा रहा है. पहले भी नीतीश कुमार बिहार की कई जातियों को बेवकूफ बना चुके हैं. पहले दलितों में फूट डाला औऱ महादलित वर्ग बना दिया. बाद में दलितों की सारी जाति को ही महादलित बना दिया. उससे दलितों का क्या फायदा हुआ. हां, दलितों के बीच आपसी फूट जरूर हो गयी. नीतीश कुमार को इसका राजनीतिक फायदा मिल गया।
अति पिछड़ों के साथ अन्याय किया
प्रशांत किशोर ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने अति पिछड़ा वर्ग वर्ग बनाया. नीतीश कुमार ने उसके साथ क्या किया. किन जातियों को अति पिछड़ा बना दिया. कर्पूरी जी ने जिस वर्ग के लिए अति पिछ़ड़ा वर्ग बनाया था उसकी हालत क्या ये पता कर लीजिये. क्या उनकी स्थिति सुधर गयी. नीतीश कुमार का राजनीतिक मकसद जरूर पूरा हो गया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर अगर जनगणना होने से लोगों की स्थिति सुधर जाती है तो बिना जनगणना के हम बता रहे हैं कि बिहार के 13 करोड़ लोग पिछड़े हैं. उनकी हाल सुधार दीजिये, कौन रोक रहा है. लोगों को समझना चाहिये कि नीतीश कुमार की नियत क्या है. इस जनगणऩा का क्या वैधानिक आधार है। अगर जनगणना करा भी लिया तो योजना क्या है. कैसे लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे. कोई योजना नहीं है, सिर्फ एक मकसद है-लोगों की आंखों में धूल झोंकना। अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश है. इससे यही होने वाला है कि समाज का एक वर्ग जातीय जनगणना का विरोध करेगा और दूसरा वर्ग इसका समर्थन करेगा. लोग आपस में लड़ते रहेंगे और इससे नीतीश कुमार या उनके उत्तराधिकारी का एक और चुनाव निकल जायेगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार 17 सालों से बिहार के सीएम है. अगर जातीय जनगणना इतना ही जरूरी है फिर ये 17 सालों में क्यों नहीं कराया गया. जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे तो उन्होंने बीजेपी पर दवाब डालकर जातीय जनगणना को कानून अधिकार क्यों नहीं दिलाया. नीतीश सिर्फ समाज को बर्बाद करेंगे. उन्होंने पूरे बिहार में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित तो दलित और पिछडे ही है. सरकार की सारी योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार है इससे कौन सा वर्ग सबसे ज्यादा पीड़ित हो रहा है. अगर बिहार में लोगों को सही चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है तो किन लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि ये लोग जाति की भी राजनीति नहीं कर रहे हैं। अगर जाति की राजनीति करते तो भी अपनी ही जाति के लोगों को आगे बढ़ाते. उसे मौका देते. लेकिन ये लोग परिवार की राजनीति करेंगे. क्या लालू यादव ने यादव जाति के किसी योग्य युवा को कमान सौंपी. क्या लालू यादव के कारण यादव समाज समृद्ध हो गया. लालू यादव का परिवार जरूर समृद्ध हो गया।