PATNA : बेउर जेल प्रशासन की वजह से लगातार विभाग को बदनामी झेलनी पड़ रही है। 3 मार्च को सुबह-सवेरे पटना जिला प्रशासन की टीम ने बेउर जेल में छापेमारी की थी। इस दौरान दो मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किया गया था। बेउर जेल के उपाधीक्षक के रवैए को लेकर सवाल खड़ा करते हुए पटना के डीएम ने उन पर कार्रवाई की सिफारिश भी की। शनिवार को बेऊर जेल से एक महंत को फोन कर रंगदारी मांगने की खबर सामने आई इसके बाद जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा खुद रविवार को बेऊर जेल पहुंचे और हैरत की बात यह है कि उन्हें भी जेल के अंदर एक मोबाइल फोन मिल गया।
दरअसल बेऊर जेल से मिल रही लगातार शिकायतों के बाद जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा ने रविवार को घंटो बेउर जेल के सभी वार्डों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें जेल के एक वार्ड के बाहर झोला रखा हुआ मिला। जब तलाशी ली गई तो उससे एक छोटा मोबाइल फोन बरामद हुआ। अब ऐसे में यह सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या बेउर जेल में मोबाइल फोन की फैक्ट्री लगी है? जेल के अंदर मोबाइल फोन का मिलना इस बात का सबूत है कि जेल प्रशासन से जुड़े लोग कैदियों तक गलत तरीके से मोबाइल फोन पहुंचा रहे हैं। जेल के अंदर मोबाइल की डिलीवरी इस बात का भी प्रमाण है कि उन्हें सरकार और प्रशासन का कोई खौफ नहीं। अगर थोड़ा भी डर होता तो जिला प्रशासन की छापेमारी के महज 4 दिन बाद बेउर जेल से दोबारा मोबाइल फोन नहीं मिलता।
बेउर जेल से मोबाइल फोन मिलने के बाद जेल आईजी भी दंग रह गए। जेल आईजी के साथ मौजूद जेल प्रशासन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। वार्ड के कैदियों और बंदियों से पूछताछ होने लगी कि मोबाइल फोन किसका है। जेल आईजी ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए जेल में नियमित छापेमारी के लिए टीम बनाने का आदेश भी दिया है लेकिन एक बात जेल आईजी भी समझ रहे हैं कि बगैर जेल प्रशासन की मिलीभगत के मोबाइल फोन तक नहीं पहुंच सकता। ऐसे में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है के बेउर जेल के कुछ अधिकारियों और कर्मियों पर बहुत जल्द गाज गिर जाए।