PATNA: जेडीयू में रविवार की सुबह खबर आयी. पार्टी के एकमात्र राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उस इस्तीफे को आनन फानन में स्वीकार किया औऱ फिर तुरंत त्यागी की जगह दूसरे राष्ट्रीय प्रवक्ता की नियुक्ति भी कर दी.
केसी त्यागी के इस्तीफे की इस कहानी को जितना सीधा दिखाया जा रहा है, मामला उतना ही टेढ़ा है. जानकार बता रहे हैं कि ये नीतीश कुमार का ऑपरेशन भूमिहार है. उसकी एक कड़ी अशोक चौधरी थे तो दूसरे केसी त्यागी. लेकिन इन दोनों के अलावा भी नीतीश के ऑपरेशन भूमिहार के कई शिकार है. हम आपको अंदर की कहानी बता रहे हैं कि आखिरकार नीतीश चाह क्या रहे हैं.
नीतीश ने लिया त्यागी से इस्तीफा
जेडीयू के एक वरीय नेता ने बताया कि केसी त्यागी से इस्तीफा लिया गया है. शनिवार को ही उन्हें मैसेज दिया गया था कि वे इस्तीफा दे दें वर्ना उन्हें पद से हटा दिया जायेगा. इज्जत बचाने के लिए केसी त्यागी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा भेज दिया.
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक केसी त्यागी को ये कहा गया कि उन्होंने पार्टी के स्टैंड के खिलाफ बयानबाजी की है. लिहाजा उन्हें पद छोड़ देना चाहिये. मामला ये है कि केसी त्यागी ने कुछ दिनों पहले इजराइल औऱ गाजा को लेकर हुई एक मीटिंग में कांग्रेस, सपा और आप के नेताओं के साथ भाग लिया था. उस मीटिंग के बाद त्यागी ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ साझा बयान जारी किया था जिसमें इजराइल औऱ फिलीस्तीन को लेकर भारत सरकार के मौजूदा स्टैंड का विरोध किया गया था. सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने इस मीटिंग का हवाला देते हुए केसी त्यागी से पद छोड़ने को कहा था. जिसके बाद त्यागी ने अपना इस्तीफा भेज दिया.
ऑपरेशन भूमिहार की एक कड़ी हैं त्यागी
नीतीश कुमार की राजनीति को समझने वाले बता रहे हैं कि केसी त्यागी तो उस ऑपरेशन की एक कड़ी मात्र हैं, जिसमें नीतीश कुमार इन दिनों जोर-शोर से लगे हैं. नीतीश का मिशन तो ऑपरेशन भूमिहार है. वे पार्टी औऱ सरकार दोनों से भूमिहारों को निपटाने में लगे हैं और इसके कई उदाहरण सामने हैं.
अशोक चौधरी को किसका समर्थन
28 अगस्त को नीतीश के खास मंत्री अशोक चौधरी ने जहानाबाद में जाकर भूमिहारों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की. जेडीयू के एक नेता ने फर्स्ट बिहार से कहा कि क्या नीतीश कुमार के आशीर्वाद के बगैर अशोक चौधरी ऐसा बोल पाते. अशोक चौधरी का अपना कोई जनाधार नहीं रहा है. वे नीतीश कुमार की कृपा से विधान परिषद के नॉमिनेटेड सदस्य हैं. नीतीश की कृपा से ही मंत्री बने हुए हैं. नीतीश कुमार बीच सड़क पर उनसे गले मिलकर और अशोक चौधरी के घऱ जाकर उन पर फूल बरसा कर ये दिखा चुके हैं कि दोनों के बीच कैसे संबंध हैं.
खास बात ये भी है कि भूमिहारों पर अशोक चौधरी के बयान के बाद पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गयी. अक्सर किसी नेता के विवादास्पद बयान के बाद जेडीयू की ओऱ से ये सफाई दी जाती रही है कि ये पार्टी का स्टैंड नहीं है और निजी बयान है. लेकिन अशोक चौधरी के मामले में ऐसी कोई सफाई नहीं दी गयी. ना अशोक चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी. जाहिर है ये दिख रहा है कि अशोक चौधरी को उपर का आशीर्वाद हासिल है.
ऑपरेशन भूमिहार के कई और उदाहरण
नीतीश के ऑपरेशन भूमिहार को समझने के लिए कई और उदाहरण सामने हैं. बिहार में हालिया दिनों में सरकार के दो शीर्ष पदों पर नियुक्ति हुई है. एक पद पर ऐसे अधिकारी को बिठाया गया है, जिन्हें खुद नीतीश कुमार ने 2022 में उस पद के योग्य नहीं माना था. इस पद के लिए इस बार भूमिहार जाति के एक अधिकारी का नाम आगे था. लेकिन नीतीश ने उसी अधिकारी को चुन लिया जिन्हें वे 2022 में रिजेक्ट कर चुके थे.
ललन सिंह के पर कतरे
जेडीयू का हर नेता जान रहा है कि केंद्र में मंत्री बने ललन सिंह को जेडीयू के संगठन से पूरी तरह से आउट कर दिया गया है. एक सप्ताह पहले अचानक से जेडीयू की पूरी प्रदेश कमेटी भंग कर दी गयी. ऐसा जेडीयू के इतिहास में पहली दफे हुआ कि तीन साल के कार्यकाल वाली प्रदेश कमेटी को बीच में ही भंग कर दिया गया हो. पार्टी ने उसी दिन नयी कमेटी भी बना ली.
जेडीयू की नयी प्रदेश कमेटी में चुन-चुन कर ललन सिंह के समर्थक माने जाने वाले नेताओं को बाहर कर दिया गया. ललन सिंह के करीबी पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद, अंजनी कुमार, सुनील कुमार, लोक प्रकाश सिंह, विभूति गोस्वामी, सौरभ निधी, दिव्यांशु भारद्वाज, बौंडिल सिंह जैसे नेताओं को प्रदेश पदाधिकारियों की सूची से बाहर कर दिया गया. जेडीयू की राष्ट्रीय कमेटी से भी ललन सिंह के खास हर्षवर्धन सिंह को बाहर किया जा चुका है.
सरकार में भी चल रहा ऑपरेशन
सत्ता के गलियारे में हो रही चर्चा के मुताबिक सरकार में भी नीतीश का ऑपेरशन भूमिहार चल रहा है. इसके निशाने पर डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा समेत कई और हैं. बीजेपी के एक नेता ने 29 अगस्त को राजगीर में हुए खेल अकादमी और स्टेडियम के उद्घाटन समारोह का उदाहरण दिया. नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में सिर्फ एक डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को बुलाया, उनका ही नाम सरकारी विज्ञापनों में मोटे अक्षरों में छपा. दूसरे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा का कहीं नाम नहीं था. जबकि जनवरी में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनने के बाद ये परंपरा चली आ रही थी कि नीतीश के सरकारी कार्यक्रमों में दोनो डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को विशिष्ट अतिथि बनाकर बुलाया जाता था. अब सिर्फ एक डिप्टी सीएम को बुलाया जा रहा है. सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार के ऑपरेशन में अभी कई और शिकार बनेंगे. अभी तो शुरूआत हुई है.