PATNA: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार को केंद्रीय सहायता नहीं मिलने के आरोपों पर तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि जिस राज्य के कुल बजट का 60 फीसद केंद्रीय सहायता पर निर्भर है, उसके मुख्यमंत्री को तथ्य छिपा कर बात नहीं करनी चाहिए।
सुशील मोदी ने कहा कि एक लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिहार में जो आधा दर्जन से ज्यादा मेगा ब्रिज और 4-6 लेन सड़कों का नेटवर्क तैयार हो रहा है, वह क्या केंद्रीय मदद नहीं है? उन्होंने कहा कि बिहार में जो भी बड़ा ढांचागत विकास हुआ, वह केंद्र की सहायता से संभव हुआ और इससे बिहार के लोगों को रोजगार मिला। क्या बिना केंद्रीय मदद के राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए?
उन्होंने कहा कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है। क्या यह केंद्रीय सहायता नहीं है? भाजपा का साथ छोड़ने के 13 महीने बाद नीतीश कुमार को केंद्रीय सहायता में भेद-भाव क्यों दिखने लगा? यदि हिम्मत है तो वे केंद्र से कोई मदद न लेने की घोषणा करें। वे जिससे सहायता लेते हैं, उसे ही कोसने भी लगे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 8,500 करोड़ रुपये खर्च कर बरौनी खाद कारखाना का आधुनिकीकरण कर इसे फिर चालू कराया। नीतीश कुमार क्यों उनके साथ चले गए, जिनके शासन में बरौनी सहित कई कारखाने बंद हुए, बेरोजगारी तेजी से बढ़ी और पलायन की नौबत आयी? दरभंगा और पटना एयर पोर्ट का विस्तार क्या बिना केंद्रीय सहायता के संभव था? बिहार को तीन वंदे भारत ट्रेन मिलना क्या भेद-भाव है?