PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच हाल के दिनों में दूरियां कम हुई हैं। पिछले कई मौकों पर तेजस्वी और नीतीश की जब भी मुलाकात हुई तो दोनों एक दूसरे के बेहद करीब नजर आए हैं। इतना ही नहीं तेजस्वी यादव ने अब नीतीश कुमार के ऊपर हमला बोलने का अंदाज भी बदल दिया है। तेजस्वी अब बीजेपी के ऊपर ज्यादा हमलावर दिखते हैं और सीधा सवाल ऐसा होता है कि केंद्र सरकार कटघरे में खड़ी हो जाए हालांकि नीतीश कुमार की अंतरात्मा जगाने के लिए तेजस्वी लगातार उन मुद्दों को उठा रहे हैं जिसके कारण नीतीश बीजेपी के साथ असहज महसूस कर रहे हैं।
देशभर में लाउडस्पीकर को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। बीजेपी के नेता हर दिन यह बयान देते रहते हैं कि लाउडस्पीकर के ऊपर पाबंदी लगनी चाहिए। इस मसले को लेकर भी नीतीश कुमार काफी असहज दिख रहे हैं। तेजस्वी ने कहा है कि लाउडस्पीकर विवाद के जरिए जो राजनीति हो रही है उससे जनता का क्या भला होने वाला है। तेजस्वी ने कहा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी, रोजगार जैसे सवाल आज बुनियादी हैं लेकिन लोगों को भटकाने के लिए बुलडोजर और लाउडस्पीकर की बात कही जा रही है।
दरअसल, तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की सेकुलर इमेज को लेकर कहीं ना कहीं घेराबंदी जारी रखना चाहते हैं। तेजस्वी नहीं भूले हैं कि इस साल 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन में हुआ करते थे तब पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कैसे करप्शन को मुद्दा बनाते हुए नीतीश कुमार को घेरा था। कैसे नीतीश कुमार से सुशील मोदी हर दिन यह सवाल पूछते थे कि तेजस्वी यादव के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप पर नीतीश कुमार का क्या स्टैंड है। नतीजा यह हुआ कि बाद में नीतीश खुद पाला बदलकर एनडीए में चले गए। बिहार में महागठबंधन की सरकार चली गई और तेजस्वी की कुर्सी भी अब तेजस्वी भी कुछ इसी अंदाज में नीतीश कुमार की घेराबंदी करना चाहते हैं। लाउडस्पीकर समेत तमाम ऐसे विवादित मुद्दे जो बीजेपी के एजेंडे में शामिल हैं, नीतीश कुमार को उस पर असहज करने की कोशिश हो रही है। क्या इसका असर होता है और क्या वाकई बिहार में एक बार फिर से इतिहास दोहराया जाता है।