निठारी कांड में कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फांसी की सजा रद्द, सभी मामलों में हुए बरी

निठारी कांड में कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की फांसी की सजा रद्द, सभी मामलों में हुए बरी

DESK: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को सभी मामलों में बरी कर दिया है। कोर्ट ने दोनों को निर्दोष करार देते हुए फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने दोनों दोषियों की 14 अर्जियों पर अपना फैसला सुनाया। नीचली अदालत से सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिली थी जबकि मनिंदर सिंह पंढेर को 3 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट के इस फैसले से सीबीआई को बड़ा झटका लगा है।


दरअसल, 7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया गया था। युवती इंटरव्यू के लिए गई लेकिन वापस घर नहीं लौटी थी। जिसके बाद युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में मामला दर्ज कराया था। 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे एक नाले से पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। इस मामले में पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में इस कांड से जुड़े सभी मामलों को सीबीआई के पास ट्रांसफर कर दिए गए थे।


जांच के बाद इस मामले में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था जबकि मनिंदर सिंह पंधेर को मानव तस्करी का आरोपी बनाया था। निठारी कांड में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली के खिलाफ 16 मामले दर्ज किए गए थे जबकि मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ 6 मामले दर्ज थे। निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को 16 में से 14 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी जबकि मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दर्ज 6 मामलों में से तीन में फांसी की सजा का ऐलान किया था।


दोनों आरोपियों ने अपनी फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।आरोपियों ने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद मौजूद नहीं है और सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें यह सजा सुनाई गई है। जिसके बाद सबूतों के अभाव में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की बेंच ने दोनों केस में आरोपियों को बरी कर दिया।


बता दें कि उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली साल 2000 में दिल्‍ली आया था। साल 2003 में कोली की मुलाकात पंढेर से हुई थी। कोली बहुत अच्छा खाना बनाता था। पंढेर के कहने पर उसने पुराने जगह काम छोड़ दिया और पंढेर के घर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा। इसी बीच साल 2004 में पंढेर का पूरा परिवार पंजाब चला गया, घर में कोली और पंढेर ही रहते थे।


पंढेर अपनी कोठी में अक्सर कॉलगर्ल्स को बुलाया करता था। जब भी कॉल गर्ल कोठी में आया करती थीं तो इस दौरान कोली कोठी की गेट पर नजर रखता था। आरोप है कि कोली कोठी से गुजरने वाले छोटे छोटे बच्चों को पकड़ लेता और उन्हें कोठी के एक कमरे में ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म करता और फिर हत्या कर देता था हालांकि, निठारी गांव के लोगों का आरोप था कि पंढेर की कोठी से शरीर के अंगों का व्यापार होता था। लोगों का मुताबिक वे बच्चों को मारकर उनके अंग निकाल लेते थे और उसे विदेशों में बेंचा करते थे।