नए साल में भी चलेगा पाठक का डंडा ! स्कूलों की जांच के लिए जारी हुआ शेड्यूल, जानिए क्या है पूरी बात

नए साल में भी चलेगा पाठक का डंडा ! स्कूलों की जांच के लिए जारी हुआ शेड्यूल, जानिए क्या है पूरी बात

PATNA : बिहार के शिक्षकों को नये साल में भी सतर्क रहना होगा। क्योंकि, इस नए साल में भी 2023 में शुरू हुआ स्कूलों का औचक निरीक्षण जारी रहेगा और अगर औचक निरीक्षण में टीचर अवसेंट या  या कार्य में लापरवाही में पकड़े गये तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। औचक निरीक्षण को लेकर अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर दिया गया है और उस पत्र में अधिकारियों की सूची जारी कर दी गयी है। जिन्हें स्कूलो का औचक निरीक्षण करना है। 


दरअसल, पिछले साल 2023 में ही केके पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया था।  उसके बाद पाठक ने स्कूलों के औचक निरीक्षण का अभियान शुरू किया था। इस निरीक्षण में देर से पहुंचने वाले या स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करवाई शुरू की थी। वेतन कटौती से लेकर वेतन बंद और सेवा से बर्खास्त करने जैसी सख्त कदम उठाये गये थे। 


मालूम हो कि, शिक्षकों के साथ ही 23 लाख से ज्यादा उन छात्र-छात्राओं के नाम स्कूल से काट दिये गये थे,जो स्कूल में एडमिशन तो कराये हुए थे,पर क्लास करने नहीं आते थे। उनमें से अधिकांश निजी स्कूलों में पढ़ते थे और सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूलों में नामांकन कराये हुए थे। अब स्कूलों में सामान्य पढ़ाई के साथ ही प्रैक्टिकल एवं खेल-कूद और अन्य गतिविधियों के बच्चों को जोड़ा जा रहा है। 


उधर, के के पाठक ने बिहार के ग्रामीण स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी थी जिसे नए बहाल टीचर के जरिए पूरा कर दिया है।  बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा देकर नियुक्त हुए शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलो में ही दिया गया है। अब उन स्कूलों में भी शिक्षक पहुंच रहें हैं,जहां स्कूल का भवन नहीं है और किसी धर्मस्थल,सार्वजनिक भवन या निजी भवन या झोपड़ी में स्कूल चल रही है।  केके पाठक ने हर हाल में इन शिक्षकों को स्कूल आने का आदेश जारी किया है। 


केके पाठक ने स्पष्ट कहा है कि जब हम शिक्षकों को राज्य के अन्य कर्मचारियों की तरह वेतनमान और अन्य सुविधायें दे रहे हैं,समय से वेतन दे रहे हैं तो शिक्षकों को समय से आना ही होगा।  जो शिक्षक ऐसा करने में सहज नहीं है,वे बाहर का रास्ता देख सकते हैं। लापरवाह लोगों के लिए बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नौकरी करना अब संभव नही है।