PATNA : नीतीश कुमार तर्कविहीन हो गए हैं। उनकी समझदारी एकदम खत्म हो गई है। अगर हम साथ होते हैं और उनके विपक्षी दलों की मीटिंग में चले गए होते तो हमको इधर-उधर की बात करनी होती तो और ज्यादा ना इधर-उधर की बात करते तो इसलिए इधर-उधर बातचीत करता कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने हमको हमेशा अपनी मजबूरी में इस्तेमाल किया। यह बातें हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने कही है।
दरअसल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी 18 जुलाई को एनडीए की बैठक में शामिल होने दिल्ली गए थे वहां से वापसी में पटना आए तो उनसे यह सवाल किया गया कि नीतीश कुमार हमेशा आप को लेकर बोलते रहते हैं कि आपने उनको धोखा दिया है। इसके बाद मांझी ने कहा कि- नीतीश ने उन्हें कच्चा चारा समझकर सीएम बनाया था। उन्होंने सोचा था कि वो जैसा कहेंगे वैसा होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं तो हमसे इस्तीफा ले लिया।
इसके आगे मांझी ने कहा कि- अगर हम उनके विपक्षी पार्टी में चले गए होते तो इधर-उधर की बात तो और भी ज्यादा हम करते। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। उन्होंने हमें मुख्यमंत्री वैसे समय में बनाया जिस समय उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया जा रहा था। उन्होंने एक कच्चा चारा सोच समझकर मुझे मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री बनाने के बाद उन्होंने सोचा जैसा वह कहेंगे वैसा ही होगा लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ। नीतीश कुमार बस सत्ता के लोभी हैं। वह सत्ता की बात करना चाहते हैं। हम जब यहां सरकार के साथ थे और किसी भी समस्या के लिए सीएम नीतीश कुमार से मिलना चाहते थे तो वह मिलते भी नहीं थे और यह आदेश दिया जाता था कि विजय चौधरी से मिल लीजिए। दूसरी तरफ देश के प्रधानमंत्री होने के बाद भी नरेंद्र मोदी लोगों से डायरेक्ट मिलते हैं।
दरअसल, इससे पहले कल बिहार के सीएम नीतीश कुमार से जब यह सवाल किया गया था कि जीतनराम मांझी ने एनडीए का दामन थाम लिया है। जिसके बाद नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर कहा कि- अच्छा हुआ था कि हमने मांझी जी को पहले ही पार्टी से हटा दिया था। नहीं तो सभी बैठक की बात वह उधर बीजेपी को बताते। इसको लेकर जीतन राम मांझी ने कहा कि -वह अब तर्क विहीन हो गए हैं। उनकी समझदारी बिल्कुल खत्म हो गई है।
इधर, INDIA नाम पर मांझी ने आपति जताते हुए कहा कि देखिए किसी धर्म, देश के नाम पर पार्टी का नामकरण नहीं होना चाहिए। इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद इसको विशेष रूप से इलेक्शन कमीशन देखेगा कि इस पर क्या करना है।