हाईकोर्ट पहुंचा मुजफ्फरपुर रिमांड होम का अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर, कहा- इसकी जांच तो हुई ही नहीं कि मैं रेप करने में सक्षम हूं या नहीं

हाईकोर्ट पहुंचा मुजफ्फरपुर रिमांड होम का अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर, कहा- इसकी जांच तो हुई ही नहीं कि मैं रेप करने में सक्षम हूं या नहीं

DELHI : मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों से रेप के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी लगायी है. ब्रजेश ठाकुर ने हाईकोर्ट में कहा है कि उसके खिलाफ जांच करने वाली एजेंसियो ने इसकी जांच तो की ही नहीं कि वो रेप करने में सक्षम है या नहीं. उसका पौरूष जांच कराये बैगर सजा सुना देना गलत है.  


बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में कई लड़कियों के साथ दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्य दोषी बृजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में दिल्ली की साकेत जिला अदालत ने जनवरी में बृजेश ठाकुर को दोषी ठहराया था। दोषी ने फैसले को चुनौती देते हुए उसे खारिज करने की मांग की है।



दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की

ब्रजेश ठाकुर ने सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. उसके वकील प्रमोद दुबे ने दलील दी है कि निचली अदालत ने मामले में जल्दबाजी में सुनवाई की. इससे सही न्याय नहीं हो पाया. किसी भी अभियुक्त को संविधान के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मिला है. निचली अदालत में सुनवाई के दौरान उसके अधिकार का उल्लंघन हुआ है. 

पौरूष जांच तो हुई ही नहीं

ब्रजेश ठाकुर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच करने वाली बिहार पुलिस या सीबीआई ने उसकी पौरुष जांच तो करायी ही नहीं. रेप जैसे मामले में किसी को भी दोषी ठहराने से पहले उसकी पौरुष क्षमता का भी परीक्षण किया जाना चाहिए. ये देखा जाना चाहिये कि वो रेप कर पाने में सक्षम है या नहीं. यह अभियुक्त का अधिकार है.

ब्रजेश ठाकुर के वकील ने हाईकोर्ट में दायर की गयी अपील में कहा है कि  साकेत कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) ने ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कानूनी रूप से अनुचित सबूतों पर भरोसा किया है. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के गवाह की भूमिका को संभावित स्पष्टीकरण देकर स्वीकार किया है. ये न तो अभियोजन पक्ष के गवाहों द्वारा कहा गया है और न ही दर्ज किया गया है. ब्रजेश ठाकुर के वकील ने निचली अदालत का फैसला अवैध, गलत, विकृत और रिकॉर्ड के साक्ष्य के विपरीत बताते हुए हाईकोर्ट से सजा रद्द करने की मांग की है.


गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में लड़कियों से रेप के मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 11 फरवरी को सजा सुनायी थी. कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को आखिरी सांस तक जेल में रखने का आदेश दिया था. ब्रजेश ठाकुर को कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में पोक्सो अधिनियम और दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया था और कोर्ट ने उसे सख्त सजा सुनायी थी. साकेत कोर्ट ने ठाकुर पर 32.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसे रेप पीडित लडकियों को देने का आदेश दिया गया था.  अदालत ने इस मामले के दूसरे आरोपियों को भी उम्र कैद की सजा दी है.