महागठबंधन ने किया मन की बात का विरोध, बोले सम्राट ... नीतीश को करने दीजिए चाय - नाश्ता, 2024 में नहीं होगा कोई फायदा

महागठबंधन ने किया मन की बात का विरोध, बोले सम्राट ...  नीतीश को करने दीजिए चाय - नाश्ता, 2024 में नहीं होगा कोई फायदा

PATNA : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात का 100वां एपिसोड रविवार को देश भर में भव्यता से आयोजित किया गया। इसे विशेष बनाने के लिए कई प्रकार की तैयारी की गई। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर पर भी पीएम मोदी के मन की बात का 100वां एपिसोड लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया है। इस बीच राजधानी पटना में भी भाजपा प्रदेश कार्यलाय में इसको लेकर भव्य इंतजाम किए गए। 


वहीं, पटना में इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि, देश तरक्की की तरफ जाए इसकी चिंता करते हुए देश के प्रधानमंत्री ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी लोगों को मन की बात के जरिए जोड़ा है।  इससे लोगों को अलग तरह की ऊर्जा हासिल हुई है। इससे लोगों को पीएम मोदी से अलग तरह का जुड़ाव हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने मन की बात को लेकर एक बुकलेट का भी विमोचन किया है। 


इसके साथ ही इस मन की बात कार्यक्रम का जेडीयू समेत महागठबंधन के विरोध पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि,महागठबंधन या जेडीयू को पार्टी होती तो कुछ बोला जाता। लेकिन वो तो एक पॉकेट का गैंग है। इसलिए उनके बारे में अधिक बोलने की जरूरत नहीं है। मोदी जी के विरोध में जो भी घूम रहे हैं उनको घूमने दीजिये चाय नाश्ता करने दीजिए। 


इधर, पीएम ने आज अपने 100 वां एपिसोड में कहा कि ,मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है। मोदी ने कहा, आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया। आपने मुझे 'मन की बात' के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है, लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सब 'मन की बात' के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं।


कई बार यकीन नहीं होता कि 'मन की बात' को इतने महीने और इतने साल गुजर गए। हर एपिसोड अपने-आप में खास रहा। 'मन की बात' में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु वर्ग के लोग जुड़े। आज देश में पर्यटन बहुत तेजी से ग्रो  कर रहा है। हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियां, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है।