LJP में सियासी घटनाक्रम के बाद चिराग की प्रेस वार्ता LIVE, चाचा पारस पर पहली बार तोड़ेंगे चुप्पी

LJP में सियासी घटनाक्रम के बाद चिराग की प्रेस वार्ता LIVE, चाचा पारस पर पहली बार तोड़ेंगे चुप्पी

DELHI : लोक जनशक्ति पार्टी में चल रहे मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान आज पहली बार सामने आए हैं. चिराग पासवान दिल्ली स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे हैं. चाचा पशुपति कुमार पारस और उनके साथ पार्टी के 4 सांसदों के पाला बदल के बाद उन्होंने पहली बार सामने आकर अपनी बात रखने का फैसला किया है.


एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि 8 अक्टूबर को अपने पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद वह सबसे मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे थे. एक तरफ परिवार को संभालना जरूरी था तो वहीं दूसरी तरफ से पार्टी को चुनाव में लेकर जाना था. लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी सभी मुश्किलों का सामना किया.



चिराग पासवान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में पार्टी के अंदर जो घटनाक्रम हुआ है. इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी. चिराग पासवान ने कहा कि उनकी खुद की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब है. लेकिन इसके बावजूद वह पार्टी में मौजूदा हालात का सामना करने को मजबूर है. 


चिराग पासवान ने कहा कि मीडिया में कुछ जगह ख़बर चल रही है कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया जा चुका है. लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान कहता है कि पार्टी अध्यक्ष का पद सिर्फ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का निधन हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष इस्तीफा दें. दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया. मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया.


बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था. मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे.


चिराग पासवान ने कहा कि लगातार उनकी पार्टी में कुछ लोग गलत तरह की गतिविधियों में शामिल थे. जब उनके पिता बीमार थे. उस वक्त भी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की गई. कुछ लोग जो आराम तलब राजनीति चाहते थे. उन्हें इस बात पर एतराज था कि लोक जनशक्ति पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अपने बूते अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया.