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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Jun 2024 09:38:52 AM IST
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PATNA : सीबीआई ने पूर्वरेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों की कथित संलिप्तता वाले नौकरी के बदले जमीन घोटाले के सिलसिले में अपना अंतिम आरोपपत्र शुक्रवार को दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा विशेष अदालत को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में उन सभी रेलवे जोन को शामिल किया गया है, जहां लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों द्वारा कथित तौर पर जमीन लिए जाने के एवज में नौकरी दी गई थी।
जानकारी के अनुसार सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश (सांसद/विधायक मामले) के समक्ष कुल 78 आरोपियों के खिलाफ अपना तीसरा और अंतिम आरोप पत्र दाखिल किया है। इस आरोप पत्र में जिस नाम की चर्चा सबसे अधिक है, वह नाम है लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का। इनके खिलाफ पहली बार आरोप पत्र दाखिल किया गया है। इसके अलावा लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी हेमा यादव, पूर्व ओएसडी भोला यादव और राजद प्रमुख के एक पूर्व कर्मचारी का नाम भी शामिल है।
मालूम हो कि लालू यादव के बड़े बेटे अभी तक लालू परिवार में तेजप्रताप यादव ही ऐसे थे जो सीबीआई, ED और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से जुड़े किसी भी मामले में शामिल नहीं थे। लेकिन अब लैंड फॉर जॉब स्कैम में आखिरकार उनका नाम भी आरोपियों की लिस्ट में आ ही गया। सीबीआई ने अपनी आखिरी चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के साथ-साथ धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराएं तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान भी लगाए हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि आरोपियों में 29 रेलवे अधिकारी, 37 अभ्यर्थी और छह अन्य निजी व्यक्ति शामिल हैं। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया है कि लालू प्रसाद ने रेलवे के अधिकारियों, अपने परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाते हुए मौजूदा दिशा-निर्देशों का पूर्णरोप से उल्लंघन करते हुए भारतीय रेलवे के 11 जोनों में ‘ग्रुप डी’ के पदों पर नियुक्ति की थी।
बताते चलें कि पिछले साल 3 जुलाई को सीबीआई ने इस मामले में बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। विशेष अदालत छह जुलाई को इस रिपोर्ट पर विचार करेगी। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि ‘जांच के दौरान, यह पाया गया है कि आरोपियों ने रेलवे अधिकारियों के साथ साजिश रची थी और अपने या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम जमीन लेने के एवज में व्यक्तियों की भर्ती की। यह भूमि तत्कालीन सर्किल दर से कम कीमत पर और बाजार दर से भी बहुत कम कीमत पर हासिल की गई थी।