PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार ने ऐलान किया था कि 25 दिनों तक लगातार वे लालूवाद से जुड़े सवाल पूछेंगे। आज उन्होंने छठा सवाल पूछा है जो अल्पसंख्यकों से जुड़ा है।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने आरजेडी से यह सवाल किया है कि उनके कार्यकाल में अकलियतों के विकास के लिए कोई काम नहीं किया गया। राजद ने केवल अल्पसंख्यक समुदाय को ठगने का काम किया। जनसंख्या के अनुपात में ना तो सदन में हिस्सेदारी मिली और ना ही सरकारी नौकरियों में ही अल्पसंख्यक समुदाय को भागीदारी मिली। राजद यह बताए कि क्यों यह बात सही नहीं है? क्या अकलियतों की इस दुर्दशा के लिए लालू-राबड़ी सरकार गुनाहगार नहीं है?
विधान पार्षद नीरज कुमार ने सच्चर समिति की रिपोर्ट को पेश करते हुए लालू-राबड़ी के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थितियों को बताया। यह पूछा कि क्या अकलियतों की इस दुर्दशा के लिए लालू-राबड़ी सरकार गुनाहगार नहीं? सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004-05 में पूरे बिहार में एक हज़ार ऐसे मुस्लिम बहुल गाँव/क़स्बा थे जहां एक भी शिक्षण संस्थान नहीं था?...2004-05 में पूरे बिहार में तीन हज़ार ऐसे मुस्लिम बहुल गांव/क़स्बा ऐसा था जहां कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं था? चिकित्सकीय सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं थी? जबकि उस दौर में प्रदेश में मुस्लिम समाज का प्रति माह प्रति व्यक्ति व्यय दलित और आदिवासी समाज से भी कम थी? जो कि उनकी दयनीय आर्थिक स्थिति को दर्शाता है?
वर्ष 2004-05में बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 16.5% था। लेकिन सरकारी नौकरियों में इनकी भागीदारी8% से भी कम थी। यानी सरकारी नौकरियों में जनसंख्या के आनुपातिक रूप जो हिस्सेदारी होनी चहिए थी उसके आधे से भी कम थी? ये था अकलियतों के हितैषी होने का स्वांग रचने वाली लालू-राबड़ी सरकार का काला सच? इसी तरह ICDS जैसे कई सरकारी योजनाओं में मुस्लिम की हिस्सेदारी उनकी आबादी के अनुपात में बहुत कम थी।
विधान पार्षद नीरज कुमार ने यह भी जानकारी दी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालते ही अल्पसंख्यक समुदाय के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय योजना का शुभारंभ किया। जिसके तहत प्रत्येक जिले में अल्पसंख्यक छात्रावासों का निर्माण किया जा रहा है। जो कि मुस्लिम छात्र/छात्राओं के शैक्षणिक उत्थान में सहायक सिद्ध हो रहा है। आज के समय में 35 अल्पसंख्यक बालक छात्रावास एवं 10 अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास संचालित है और 8 निर्माणाधीन है।
बिहार राज्य वक्फ विकास योजना, बिहार राज्य मदरसा शुद्धिकरण योजना के साथ मैट्रिक से वंचित विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना चल रही है। बिहार राज्य मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना द्वारा 110 मदरसों को संबद्धता दी गई वही 80 मदरसों का अपग्रेडेशन किया गया है। ₹20 करोड़ रु० के व्यय से UNFPA द्वारा “तालीम नौ बालगान” की शुरुआत किए जाने की योजना पर काम जारी है। 318करोड़ 37 लाख की लागत से 8 लाख महादलित एवं 4 लाख अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं के शिक्षा को ध्यान में रखते हुए "अक्षर आंचल योजना की शुरुआत की गई।
इसके अलावा राज्य के मदरसों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तरकर्मियों को सातवां वेतनमानका लाभ दिया गया है।17 फरवरी 2019 को पूर्णिया प्रमंडल में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों का सर्वांगीण विकास हुआ। जबकि 2005 से पूर्व राजद के शासनकाल में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट नगण्य हुआ करता था।
2004-05 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का कुल व्यय केवल 3 करोड़ 45 लाख रुपये था। वित्त वर्ष 2019-20 में 253 करोड़ 16 लाख रुपये था। अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण योजना के तहत अद्यतन 35 अल्पसंख्यक बालक छात्रावास एवं 10 अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास निर्मित व संचालित है। वहीं 8 अल्पसंख्यक बालक एवं बालिका छात्रावास निर्माणधीन है।
सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए मुफ्त कोचिंग योजना आरम्भ की गई। जिसमें बिहार लोक-सेवा आयोग, अन्य तकनीकी एवं व्यवसायिक प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2006-07 में अल्पसंख्यक मुस्लिम तलाकशुदा महिला सहायता योजना शुरु किया गया।
इस योजना के तहत प्रत्येक तलाकशुदा महिला को एक बार एक मुश्त 10,000/- (दस हजार रूपये) की आर्थिक सहायता दी जाती थी। जिसे वित्तीय वर्ष 2017-18 से सहायता राशि को बढ़ाकर 25,000/- (पच्चीीस हजार रूपये) कर दिये गए। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में (31 दिसम्बर) तक कुल 13,230 परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाओं को लाभान्वित किया गया। मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं को 10,000 रुपये की प्रोत्सााहन राशि प्रदान की जाती है।
वर्तमान में कुल 1,942 मदरसे अनुदानित श्रेणी के हैं। बिहार राज्य में मदरसों में अध्ययनरत कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 8,00,000 (आठ लाख) है। इस तरह के 2,459+1 कोटि के मदरसों में से 987 मदरसों को अनुदान की श्रेणी में शामिल करने की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा 339 मदरसों को भी अनुदान की श्रेणी में लाने हेतु कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। 21 जून 2021 को अल्पसंख्यकों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किशनगंज के डेरामारी में 53 करोड़ 3 लाख 35 हजार रुपये की लागत से 560 बेड की क्षमतावाली अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का ऑनलाइन शिलान्यास किया। इस स्कूल से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इस अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में वर्ग नौ से बारहवीं वर्ग के बच्चों को मुफ्त में रहने खाने और पढ़ाई की सुविधा प्राप्त होगी।