PATNA: ये मामला दस दिनों से ज्यादा सुर्खियों में है. बिहार के इतिहास में पहली दफे किसी प्रधान सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी के घर ईडी की रेड पड़ी. ईडी की टीम को देखते ही अधिकारी ने सबसे पहले अपने सुरक्षा गार्डों से उसे रूकवाने की कोशिश की. ईडी की टीम नहीं रूकी तो IAS अधिकारी ने घर में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया. ईडी को दरवाजा तोड़ कर घर के अंदर घुसना पड़ा. ईडी के डर से जो अधिकारी दरवाजा बंद कर घर में घुस गया, वह अब भी बिहार के सत्ता के गलियारे में सीना चौड़ा कर घूम रहा है. उस पर ऐसे बेहद संगीन आरोप लगे हैं, लेकिन बिहार की सुशासन वाली सरकार उसे चुन-चुन कर मलाईदार विभाग देती रही. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है- क्या राजा की जान हंस में कैद है?
संजीव हंस की हैरान कर देने वाली कहानी
ईडी की छापेमारी की ये कहानी बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव औऱ बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी संजीव हंस की है. संजीव हंस बिहार में बिजली से जुडे तमाम सिस्टम के मालिक हैं. यानि बिजली खऱीद, सप्लाई, बिल वसूली, ट्रांसमिशन, स्मार्ट मीटर इन सारी चीजों का फैसला संजीव हंस की कलम से होता है. सिर्फ करप्शन ही नहीं बल्कि रेप जैसे बेहद संगीन मामलों के आऱोपी संजीव हंस को सरकारी संरक्षण की कहानी ये बतायेगी कि सुशासन, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और हम न किसी को फंसाते हैं और ना बचाते हैं जैसे नारे कितने खोखले और झूठे हैं.
रेप का आरोपी संजीव हंस
संजीव हंस के कारनामों की कलई 2022 से खुलनी शुरू हुई. बिहार की औरंगाबाद की महिला ने बिहार पुलिस के आलाधिकारियों के साथ साथ मुख्यमंत्री तक को कई पत्र लिखे. पत्र में शिकायत की गयी कि संजीव हंस और उसके सहयोगी नेता गुलाब यादव ने उसके साथ कई दफे रेप किया है. गुलाब यादव राजद से विधायक रह चुका है. अभी उसकी पत्नी विधान पार्षद है तो बेटी जिला परिषद की अध्यक्ष. पीड़ित महिला ने कहा कि 2016 में विधायक गुलाब यादव ने उसे अपने फ्लैट पर ये कह कर मिलने के लिए बुलाया था कि वह उसे महिला आयोग का सदस्य बनवा देगा. महिला जब गुलाब यादव के निजी फ्लैट पर मिलने गयी तो वहां उसके साथ रेप किया गया. विधायक ने न सिर्फ रेप किया बल्कि उसका वीडियो भी बना लिया.
पीड़ित महिला ने पुलिस के पास शिकायत की. उसमें बताया कि गुलाब यादव ने रेप का जो वीडियो बनाया था उसे दिखाकर ब्लैकमेल करने लगा. महिला को दिल्ली और पुणे के पांच सितारा होटलों में बुलाया गया. वहां असली आदमी सामने आया. पीड़ित महिला ने कहा कि होटल में संजीव हंस आया. उसने वीडियो दिखायी और फिर कई दफे रेप किया. महिला को नशीली दवा खिलाकर रेप किया गया. महिला ने इससे संबंधित कई सबूत भी दिये.
महिला ने कहा कि संजीव हंस के रेप के कारण उसे एक बच्चा भी हुआ है. उस बच्चे का डीएनए टेस्ट करा लिया जाये, वह संजीव हंस का बच्चा साबित हो जायेगा. इन तमाम बातों के बावजूद पटना पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया.
कोर्ट के आदेश पर एफआईआर हुई
हार कर पीड़ित महिला ने कोर्ट में शिकायत की. कोर्ट से गुहार लगायी कि वह पुलिस को एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने का आदेश दे. लेकिन आईएएस अधिकारी का रसूख इतना बड़ा था कि निचली अदालत ने महिला की याचिका ही रद्द कर दी. इसके बाद पीड़िता ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई.
पुलिस ने कहा-रेपिस्ट और फ्रॉड है संजीव हंस
2023 की जनवरी में आईएएस संजीव हंस औऱ नेता गुलाब यादव के खिलाफ पटना रूपसपुर थाने में रेप औऱ ब्लैकमेल करने की एफआईआर दर्ज हुई. इंस्पेक्टर स्तर की महिला पदाधिकारी को इस केस का आईओ बनाया गया. मामला हाईकोर्ट तक गया था लिहाजा पुलिस को कोर्ट का डर भी सता रहा था. लिहाजा केस की जांच-पड़ताल करने में पुलिस ने खासी एहतियात बरती.
पटना के नगर पुलिस अधीक्षक (सिटी एसपी) राजेश कुमार ने 3 अप्रैल 2023 को इस केस की सुपरविजन रिपोर्ट जारी की. राजेश कुमार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा “दस्तावेजी साक्ष्यों के अवलोकन एवं अबतक के अनुसंधान से तत्काल यह कांड धारा-341, 342, 378, 376 (डी) ए 420 313, 120 (वी)/504/506/34 भा०द०वि० एंव 67 आई०टी० एक्ट के अन्तर्गत प्राथमिकी अभियुक्त 1. गुलाब यादव (उम्र लगभग 53 वर्ष) पे० स्व० जीवच यादव, सा० गंगापुर, थाना-झंझारपुर, जिला-मधुवनी वर्तमान विन्देश्वरी अर्पाटमेन्ट फ्लैट नं0-401, रूकनपुरा, थाना-रूपसपुर, जिला-पटना, 2. संजीव हंस, पिता-श्री लक्ष्मण दास हंस, स्थायी पता-65 ए रणजीत एवेन्यु, अमृतसर, पंजाब एवं वर्तमान सरकारी आवास सं0-ए3/4 बेली रोड, पटना वर्तमान में प्रधान सचिव, उर्जा विभाग, बिहार सरकार, पटना के विरूद्ध सत्य मानकर अनुसंधान करना श्रेयष्कर प्रतीत होता है.”
यानि बिहार पुलिस के सिटी एसपी ने ये माना कि जांच से साफ हुआ है कि संजीव हंस ने रेप, धोखाधड़ी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया. सिटी एसपी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा पीड़ित महिला कह रही है कि रेप के कारण वह गर्भवती हुई और उसे बच्चा हुआ है. उस बच्चे और संजीव हंस का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिये. ताकि मामला पूरी तरह क्लीयर हो सके.
एसएसपी ने और गंभीर बातें लिखीं
मामला आईएएस अधिकारी का था. लिहाजा इसमें पटना के सीनियर एसपी राजीव मिश्रा ने अपनी सुपरविजन रिपोर्ट जारी की. 17 अप्रैल 2023 को पटना के सीनियर एसपी राजीव मिश्रा ने लिखा-“इस कांड में नगर पुलिस अधीक्षक, पश्चिम राजेश कुमार का सुपरविजन रिपोर्ट मिली है. इससे मैं सहमत हूं.” यानि सीनियर एसपी ने भी पाया कि बिहार सरकार के खास अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ रेप का आरोप सही है.
दरअसल पुलिस को इस कांड में बड़े सबूत मिले थे. पीड़ित महिला ने बताया था कि उसे महाराष्ट्र के पुणे के एक पांच सितारा होटल में ले जाकर रेप किया गया था. पुलिस ने जब होटल में छानबीन की तो पता चला कि उस होटल में संजीव हंस ने कमरा बुक कराया था. कमरा बुक कराने के लिए आईडी के तौर पर संजीव हंस ने अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिया था. पुलिस ने जब उस ड्राइविंग लाइसेंस के नंबर के आधार पर छानबीन की तो पता चला कि उस लाइसेंस को पटना जिला परिवहन कार्यालय से संजीव हंस के नाम पर जारी किया गया था. यानि पुलिस को होटल में रेप का प्राथमिक सबूत मिल गया. ऐसे कई और सबूत पुलिस के हाथ लगे.
संजीव हंस के भ्रष्टाचार की कहानी दबायी गयी
17 अप्रैल 2023 को पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा की सुपरविजन रिपोर्ट में ही संजीव हंस के भ्रष्टाचार की कहानी सामने आ गयी थी. एसएसपी ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में लिखा था “रेप के मामले के एक गवाह ने पुलिस को बताया है कि संजीव हंस द्वारा चंडीगढ़ में 95 करोड़ रूपये में एक रिजोर्ट खरीदा गया है, जो सुरेश प्रसाद सिंघला के नाम पर है. इसके साथ ही बिहार में प्रीपेड मीटर लगाने वाले ने संजीव हंस को मर्सिडीज गाड़ी गिफ्ट में दिया है. प्रीपेड मीटर वाले से संजीव हंस को जो पैसा मिला था, उस पैसे को संजीव हंस ने गुलाब यादव औऱ सुभाष यादव के जरिये जमीन खरीदने में लगाया है.”
पटना के एसएसपी ने कहा कि चूंकि ये मामला बड़े लेवल पर पैसे के लेन-देन का है इसलिए इसकी रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में बिहार सरकार के स्पेशल विजलेंस यूनिट को सौंपी जाये. पटना एसएसपी ने कहा कि गवाह ने संजीव हंस और गुलाब यादव की अवैध संपत्ति का भी विवरण दिया है. इस मामले में भी कार्रवाई की जाये.
ईओयू ने नहीं की जांच
संजीव हंस का रूतबा देखिये. पटना पुलिस की रिपोर्ट के बावजूद बिहार सरकार की स्पेशल विजलेंस यूनिट औऱ आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले की जांच नहीं की. पटना पुलिस ने रिपोर्ट सौंपी और वह सरकारी फाइलों में दब गयी.
हंस में है राजा की जान!
पूरा प्रकरण बेहद दिलचस्प है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिम्मे ही गृह विभाग भी है. यानि वे ही पुलिस का कामकाज देखते हैं. नीतीश कुमार के जिम्मे ही सामान्य प्रशासन विभाग है. इस विभाग से बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग होती है. पटना के एसएसपी ने साफ लिखा कि संजीव हंस पर रेप का मामला सही है. पटना के एसएसपी ने ये भी लिखा कि भ्रष्टाचार की बात सामने आयी है. जाहिर है इतने बड़े मामले की जानकारी पुलिस के प्रमुख गृह मंत्री तक को होगी. लेकिन सरकार ने संजीव हंस को मलाईदार विभागों का जिम्मा सौंप दिया.
पीएचईडी विभाग में भी गडबड़ी
वे बिहार पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी बने रहे, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव बने रहे. सरकार ने उन्हें पीएचईडी विभाग के प्रधान सचिव का भी अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया. संजीव हंस को ये सारी पोस्टिंग नीतीश कुमार के हाथों मिली. इसमें दिलचस्प बात ये भी है कि मौजूदा बीजेपी-जेडीयू की सरकार ये कह रही है कि पीएचईडी विभाग में नल-जल के अरबों के टेंडर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी. करीब 500 करोड़ के टेंडर रद्द किये जा चुके हैं. ये सारे वैसे टेंडर हैं, जो संजीव हंस के प्रधान सचिव रहते हुए थे. सरकार ने टेंडर रद्द किया लेकिन संजीव हंस का बाल बांका नहीं हुआ.
ईडी को भी शांत करने की कोशिश
सत्ता के गलियारे में चर्चा ये है कि बिहार औऱ दिल्ली दोनों जगहों पर डबल इंजन की सरकार का एक इंजन जोर शोर से इसमें लगा है कि मामला दब जाये. एक रिटायर्ड आला अधिकारी ने फर्स्ट बिहार को कहा कि संजीव हंस अगर गड़बड़ी कर रहे थे तो ऐसा नहीं हुआ होगा कि सरकार की नजर में ये बात नहीं होगी. लेकिन सरकार खामोश बैठी रही. ऐसे कारनामों में खामोशी का मतलब समर्थन करना ही होता है. अब सत्ता शीर्ष पर बैठे कुछ लोगों को ये डर जरूर सता रहा होगा कि संजीव हंस फंसे तो कई और की कलई खुलेगी. ऐसे में मामले को दबाने की कोशिश जरूर की जा रही होगी.
हंस के सिर पर नीतीश का हाथ?
2005 से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार का पिछला इतिहास ही कई सवाल खड़ा कर रहा है. 2005 में नीतीश कुमार ने मंत्रियों के साथ शपथ लिया था. जिस दिन शपथ लिया उसी दिन रात में पता चला कि जीतन राम मांझी पर केस दर्ज है. रातो रात मांझी से इस्तीफा ले लिया गया था. 2009 में नीतीश सरकार के तत्कालीन मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह पर एक मुकदमा होने की जानकारी मिली तो उनसे भी इस्तीफा ले लिया गया था. नीतीश कुमार ने 2017 में राजद से साथ सिर्फ इसलिए गठबंधन तोड़ने का एलान किया कि तेजस्वी यादव पर ईडी और सीबीआई ने केस कर दिया है. 2020 में भी नीतीश कुमार ने अपने साथ शपथ लेने वाले मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफा ले लिया था क्योंकि उनके खिलाफ केस दर्ज था.
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जिस आईएएस अधिकारी को खुद नीतीश कुमार की पुलिस ने रेप का आरोपी बताया है, उस अधिकारी को लगातार मलाईदार पोस्टिंग कैसे मिल रही है. जिस अधिकारी के घर ईडी की रेड हुई और ईडी की टीम से बचने के लिए वह घर में दरवाजा बंद कर छिप गया. उसे पद से हटाया भी क्यों नहीं जा रहा है. वह मजे से सरकारी मीटिंग अटेंड कर रहा है. विधानसभा में घूम रहा है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वाकई राजा की जान हंस में कैद है? जवाब राजा के पास ही होगा.