समस्तीपुर में सरपंच के बेटे को मारी गोली, गंभीर हालत में डीएमसीएच रेफर नीतीश कुमार के शपथग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे अमित शाह और जेपी नड्डा, बीजेपी नेताओं ने किया जोरदार स्वागत नीतीश के शपथ लेने से पहले ही बंपर बहाली की प्रक्रिया शुरू, सरकार ने जारी किया बड़ा आदेश, जानिये किन पदों पर होगी नियुक्ति? पटना के ए.एन. कॉलेज में गोल इंस्टीट्यूट का भव्य सेमिनार, NEET–JEE तैयारी पर विशेषज्ञों ने दिए खास टिप्स Bihar News: बिहार में शादी समारोह से लौट रहे युवक को बेलगाम वाहन ने रौंदा, चालक की तलाश जारी Patna Book Fair 2025: 5 से 16 दिसंबर तक गांधी मैदान में सजेगा 41वां पुस्तक मेला, 200 स्टॉल और 300 कार्यक्रम होंगे दीक्षांत समारोह से पहले मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रों का प्रदर्शन, अंगवस्त्र की गुणवत्ता पर सवाल, कुलपति आवास का किया घेराव 10वीं बार CM पद की शपथ लेंगे नीतीश कुमार, हेलिकॉप्टर से गांधी मैदान पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहरसा: हाईटेंशन तार की चपेट में आने से राजमिस्त्री की मौत, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप सोनपुर मेला 2025: पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना स्वीस कॉटेज, उमड़ा जनसैलाब
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 29 Dec 2024 11:46:17 PM IST
- फ़ोटो
Kaal Sarp Dosh: राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है। ये दोनों ग्रह वक्री चाल चलते हैं और एक राशि में लगभग डेढ़ साल तक रहते हैं। इनकी स्थिति से व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। कुंडली में राहु और केतु के कारण बनने वाले दोषों में कालसर्प दोष सबसे जटिल और कष्टकारी माना जाता है।
शेषनाग कालसर्प दोष
जब राहु कुंडली के बारहवें भाव और केतु छठे भाव में स्थित होते हैं, और इनके मध्य अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं, तो यह स्थिति शेषनाग कालसर्प दोष बनाती है। यह दोष जातक के जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का कारण बनता है।
शेषनाग कालसर्प दोष के प्रभाव
अकल्पनीय घटनाएं: दोष से पीड़ित जातक के जीवन में अचानक घटनाओं का खतरा बना रहता है।
पेट संबंधी परेशानी: जातक को पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
स्वभाव में बदलाव: राहु और केतु की ऊर्जा के कारण जातक के स्वभाव में क्रोध, अस्थिरता और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
यात्रा में सावधानी: इस दोष से पीड़ित जातक को यात्रा करते समय विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
प्रगति में बाधा: यह दोष करियर, संबंधों और आर्थिक स्थिति में रुकावट पैदा करता है।
शेषनाग कालसर्प दोष के निवारण के उपाय
भगवान शिव की पूजा:
प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
सोमवार को विशेष रूप से शिवलिंग पर बेलपत्र, कच्चा दूध और गंगाजल चढ़ाएं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप:
नियमित रूप से "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥" मंत्र का 108 बार जाप करें।
यह मंत्र जीवन में शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
हनुमान चालीसा का पाठ:
प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। यह राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम करता है।
सर्प दोष पूजा:
किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर नाग पंचमी या किसी शुभ मुहूर्त में कालसर्प दोष निवारण पूजा कराएं।
उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर और काशी जैसे पवित्र स्थानों पर यह पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है।
दान-पुण्य:
राहु और केतु से जुड़े दोषों को कम करने के लिए काले तिल, उड़द दाल, और लोहे का दान करें।
गरीबों को भोजन कराना भी दोष निवारण में सहायक होता है।
सफेद वस्त्र पहनना:
सोमवार को सफेद वस्त्र पहनें और शांत स्वभाव बनाए रखें।
नाग नागिन का पूजन:
नाग-नागिन की पूजा करें और उन्हें दूध अर्पित करें।
कालसर्प दोष के प्रति सावधानियां
किसी भी उपाय को अपनाने से पहले ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराएं।
दोष की अनदेखी करने से जीवन में कष्ट बढ़ सकते हैं।
नियमित पूजा और सत्कर्म से दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है।
शेषनाग कालसर्प दोष जीवन में अनेक चुनौतियां ला सकता है, लेकिन उचित पूजा-पाठ और ज्योतिषीय उपायों से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है। भगवान शिव की भक्ति और महामृत्युंजय मंत्र का जाप इस दोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत प्रभावी है।