PATNA: कटिहार में पुलिस फायरिंग में हुई दो लोगों की मौत को लेकर बिहार का सियासी पारा चरम पर पहुंच गया है। विपक्षी दल बीजेपी के साथ साथ अब सत्ताधारी दल के नेता भी अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने लगे हैं। कटिहार गोलीकांड को लेकर आरजेडी ने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री के सामने हथियार डाल चुके पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने गोलीकांड को लेकर एक बार फिर नीतीश पर हमला बोला है और कहा है कि घटना के लिए खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं।
सुधाकर सिंह ने कहा है कि किसानों पर गोली चलाना जघन्य अपराध है। निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर जिस तरह से पुलिस वे गोलियां चलाई, वह बर्दाश्त के बाहर है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्स से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, धारा 302 के तहत केस दर्ज कर तुरंत दोषियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए। इस घटना में मारे गए लोगों को सरकार तुरंत राहत पहुंचाए, क्योंकि वे बेगुनाह लोग थे और उनपर गोली नहीं चलाई जानी चाहिए थी। गोलीकांड को लेकर सरकार और पुलिस की तरफ से आ रहे बयानों पर भड़के सुधाकर सिंह ने कहा कि गलत बयानबाजी करने वाले लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के एडीजी को कानून का ज्ञान नहीं है। बिहार राज्य पुलिस स्टेट नहीं है। जो लोग प्रदर्शन कर रहे थे वे निहत्थे लोग थे। अधिकारियों और कर्मचारियों को कोई हथियार के बल पर बंधक नहीं बनाया गया था कि उनके ऊपर गोली चला दी गई। किसानों को बिजली नहीं मिल रही थी इसलिए वे परेशान थे। क्या इस राज्य के किसान खेती करने के लिए गुनाहगार हैं। किसान सिर्फ अपने लिए खेती नहीं करता है बल्कि खेती कर पूरे राज्य की सेवा करता है। जब इसी देश के लोग भूखे मर रहे थे तो जय जवान जय किसान का नारा दिया गया था। किसानों ने जिस दिन खेती करना छोड़ दिया उस दिन राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में आ जाएगी। इस घटना को लेकर गैर जिम्मेदाराना बयान देने वाले एडीजी समेत अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
सुधाकर सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के साथ साथ राज्य के गृहमंत्री भी हैं। ऐसे में उन्हें जिम्मेवारी तय करनी चाहिए। अगर नीतीश कुमार जिम्मेवारी तय नहीं करते हैं तो उन्हें खुद इसकी जिम्मेवारी लेनी चाहिए कि कटिहार की घटना उनके कारण हुई है। अगर इस घटना में शामिल दोषियों की जिम्मेवारी तय नहीं होती है तो यह माना जाना चाहिए कि घटना के लिए मुख्यमंत्री जिम्मेवार हैं। निर्दोष लोगों की मौत की समीक्षा का मतलब है कि लोकतंत्र खत्म हो चुका है। लाशें गिरी हैं, पहले एफआईआर होनी चाहिए उसके बाद समीक्षा की बात करनी चाहिए। जेडीयू के लोग जो बेतुका बयान दे रहे हैं तो माना जाए कि उन्हें कानून का कोई ज्ञान नहीं है।