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1st Bihar Published by: Updated Sat, 07 May 2022 08:32:57 PM IST
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PATNA: तीन दिन पहले बिहार में हुए एनडीए के एक घटनाक्रम ने कई संकेत एक साथ दे दिये हैं. दिल्ली से अचानक केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पटना पहुंच गये. बिहार प्रदेश बीजेपी के ज्यादातर नेताओं को उनके दौरे की खबर तक नहीं थी. धर्मेंद्र प्रधान पटना पहुंचे और फिर सीधे नीतीश कुमार के घऱ पहुंच गये. नीतीश कुमार से उनकी लंबी गुफ्तगूं हुई. अगले दिन सुबह उन्होंने फिर से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ ली।
ऊपर से देखने पर ये सामान्य सी बात लग सकती है लेकिन बिहार में बीजेपी और एनडीए की राजनीति को समझने वालों को ये घटनाक्रम बड़ा संकेत दे गया. बीजेपी का कोई बड़ा नेता दिल्ली से आया और सिर्फ नीतीश कुमार से मिलकर वापस लौट गया. लंबे समय तक बिहार बीजेपी के प्रभारी रह चुके धर्मेंद्र प्रधान पार्टी के प्रदेश कार्यालय तक नहीं गये. स्टेट गेस्ट हाउस में जहां वे रूके थे, वहां उनके दो-तीन करीबी नेताओं ने पहुंच कर उनसे मुलाकात की. लेकिन धर्मेंद्र प्रधान के पटना दौरे का मिशन सिर्फ एक था-नीतीश कुमार से मुलाकात करना. इस घटनाक्रम ने बिहार बीजेपी में बदलाव के बड़े संकेत दे दिये हैं.
बिहार भाजपा के सीईओ के पंख कतरे गये?
BJP के नेताओं की बात करें तो उनके बीच चर्चा आम है-पिछले कई सालों से बिहार में भाजपा के अघोषित सीईओ बनकर पार्टी का हर फैसला ले रहे भूपेंद्र यादव के पर कतर दिये गये हैं. बिहार की पॉलिटिक्स में फिर से धर्मेंद्र प्रधान की एंट्री हो गयी है. बीजेपी के एक नेता ने कहा-अब धर्मेंद्र प्रधान वही रोल निभायेंगे जो किसी जमाने में अरूण जेटली निभाया करते थे. उस दौर में पार्टी का प्रभारी कोई रहे, नीतीश कुमार से जुडे गठबंधन के मामलों को अरूण जेटली देखते थे. अब वही काम धर्मेंद्र प्रधान करेंगे. संगठन का काम कोई भी देखे, गठबंधन की दूसरी पार्टियों से समन्वय का काम धर्मेंद्र प्रधान ही देखेंगे.
एक्शन में हैं धर्मेंद्र प्रधान
बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि धर्मेंद्र प्रधान पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों फिदा है. धर्मेंद्र प्रधान को उत्तर प्रदेश चुनाव का प्रभारी बनाया गया था और वहां पार्टी की सत्ता में वापसी का बड़ा श्रेय उन्हें मिला है. लिहाजा उन्हें बिहार में को-ओर्डिनेशन की जिम्मेवारी सौंप दी गयी है. पार्टी नेतृत्व ने जैसे ही उन्हें ये जिम्मा दिया वैसे ही वे पटना पहुंचे. धर्मेंद्र प्रधान ने नीतीश कुमार से तकरीबन दो घंटे की मुलाकात में हर उस बिन्दु पर चर्चा की जिसे लेकर बीजेपी औऱ जेडीयू में तकरार की स्थिति बन रही थी. भाजपा सूत्र बता रहे हैं कि धर्मेंद्र प्रधान अब अमित शाह औऱ जेपी नड्डा के साथ बात कर दोनों पार्टियों में बेहतर समन्वय का रास्ता निकालेंगे.
क्यों बदला बीजेपी नेतृत्व का मिजाज
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिरकार नरेंद्र मोदी-अमित शाह के सबसे खास माने जाने वाले भूपेंद्र यादव को लेकर मिजाज क्यों बदल गया. दरअसल बिहार में हाल में हुए घटनाक्रम ने बीजेपी नेतृत्व को चौकन्ना कर दिया है. बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से एमएलसी के 24 सीटों पर चुनाव हुए. 12 सीटिंग सीट पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी 5 सीटें हार गयी. उसे सिर्फ 7 सीट आयी. उसके बाद हुए बोचहा विधानसभा सीट पर उप चुनाव में तो बीजेपी की भद्द पिट गयी. इस सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार साढ़े 36 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव हारी.
इन दो घटनाक्रम ने संकेत दे दिया था कि बीजेपी बिहार में अपनी जमीन खोती जा रही है. पार्टी को ये भी समझ में आया कि सहयोगी पार्टी जेडीयू के वोट उसे ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं. उधर नीतीश कुमार राजद से दोस्ती साबित करने की होड़ में लग गये. बीजेपी नेतृत्व जान रहा है कि फिलहाल नीतीश राजद के साथ नहीं जायेंगे लेकिन आम लोगों के बीच तो ये मैसेज जा रहा था कि नीतीश का तेजस्वी-लालू से मधुर संबंध बन गया है. वहीं बीजेपी से नीतीश कुमार का भारी विवाद चल रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार का वोट बैंक राजद से सहानुभूति जताने लगा था.
बीजेपी नेतृत्व को ये लगने लगा कि यही स्थिति रही तो नीतीश कुमार से गठबंधन करके भी चुनाव में कोई फायदा नहीं मिल पायेगा. दो साल बाद लोकसभा चुनाव हैं. अगर एनडीए के घटक दलों का वोट तितर-बितर हुआ तो जबरदस्त नुकसान सहना पड़ेगा. बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव ही सबसे अहम औऱ जीवन मरण का सवाल है. लिहाजा 2 साल बाद की चिंता अभी से ही करना जरूरी था. ऐसे में बीजेपी नेतृत्व का मिजाज बदला.
बीजेपी के एक नेता के मुताबिक पार्टी नेतृत्व को इसका भी अंदाजा हो गया कि भूपेंद्र यादव के नीतीश कुमार से संबंध बेहद खराब हो चुके हैं. दरअसल भूपेंद्र यादव बिहार में अपने सबसे खास नित्यानंद राय को मुख्यमंत्री पद का दावेदार प्रोजेक्ट कर रहे थे. बिहार में पिछले कई महीने से नीतीश कुमार को हटा कर नित्यानंद राय को सीएम बनाये जाने की अफवाहें बार-बार उड़ रही थी. नीतीश कुमार समेत पूरे जेडीयू को लग रहा था कि इसके पीछे भूपेंद्र यादव का ही हाथ है. इससे बीजेपी औऱ जेडीयू के संबंध औऱ खराब हो रहे थे.
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इन्हीं परिस्थितियों में नेतृत्व का हृदय परिवर्तन हुआ है. पार्टी अभी और कई फेरबदल कर सकती है. बिहार भाजपा की पूरी कमान भूपेंद्र यादव समर्थकों के हाथ में है. बीजेपी के नेता आपसी बातचीत में पार्टी को भूजपा यानि भूपेंद्र जनता पार्टी कहने लगे थे. ऐसे में बिहार में संगठन में भी फेरबदल किया जा सकता है.
पार्टी को अगले कुछ ही महीने में नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करनी है. नया प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र यादव के कैंप से नहीं होने की चर्चा आम है. भाजपा में चर्चा है कि नया प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रधान की पसंद का हो सकता है. बिहार में एनडीए मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की भी चर्चा है और इसमें कुछ मौजूदा मंत्रियों की छुट्टी की जा सकती है.
इनमें सबसे ज्यादा खतरा भूपेंद्र यादव के खास माने जाने वाले एक मंत्री की कुर्सी पर है, जिन्हें बोचहां उप चुनाव में हार का सबसे बड़ा जिम्मेवार माना जा रहा है. वहीं, खुद को बिहार बीजेपी का सुपर बॉस घोषित कर चुके एक केंद्रीय मंत्री के भी पंख कतरे जा सकते हैं. यानि आने वाले दिनों में बीजेपी में बहुत कुछ नया देखने को मिल सकता है.