के के पाठक के आदेश से हडकंप ! अब मीडिया में 'मास्टर साहब' नहीं दे पाएंगे कोई बयान, ऐसे रखी जाएगी नजर

के के पाठक के आदेश से हडकंप ! अब मीडिया में 'मास्टर साहब' नहीं दे पाएंगे कोई बयान, ऐसे रखी जाएगी नजर

PATNA : बिहार में जब से शिक्षा विभाग की कमान के के पाठक ने संभाली है तब से वह लगातार कोई ना कोई ऐसा फैसला ले रहे हैं जिससे शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। ऐसे में केके पाठक के एक और एक्शन से टीचर में टेंशन बढ़ गया है। अब पाठक ने शिक्षकों को कहा है कि आप किसी भी मीडिया चैनल से बात नहीं करेंगे।


दरअसल, शिक्षा विभाग और प्रमुख सचिव के के पाठक के तरफ से यह आदेश जारी किया गया है कि राज्य भर के शिक्षक यदि मीडिया में किसी प्रकार का बयान या कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं तो वह कार्रवाई के घेरे में आएंगे। इंटरनेट मीडिया पर इस तरह के बयान देने वाले राज्य के करीब 70 शिक्षकों और कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। राज्य के अलग-अलग जिलों के शिक्षकों व कर्मचारियों से जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय व विश्वविद्यालय के कुलसचिवों ने पत्र जारी कर कारण बताने को कहा है।


वहीं, लेटर जाने जारी होने पर 24 घंटे बाद जब आप नहीं देने वाले टीचरों के विरोध कार्रवाई के लिए बड़ी अधिकारियों को यह अग्रसारित किया जाएगा। पटना के वीडियो अमित कुमार के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मानता नहीं दी गई है। इस संबंध में निदेशक माध्यमिक शिक्षा का पत्र प्राप्त हुआ है। 


इसके अनुसार किसी भी शिक्षक या शिक्षकेतर कर्मी को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है। संघ की स्थापना और उसकी सदस्यता गंभीर कदाचार की श्रेणी में चिह्नित है। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया, समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार-प्रसार नहीं किया जाएगा। इसका पालन नहीं करने वालों पर कठोर अनुशासनिक कार्रवाई का निर्देश है। 


आपको बताते चलें कि, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश के अनुसार कोई भी शिक्षक किसी भी संगठन का सदस्य नहीं रह सकता। वह सरकार पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। उसके मीडिया या इंटरनेट मीडिया में बोलने पर भी कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। साथ ही जिला स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। आदेश के उल्लंघन को लेकर अभी तक 54 स्कूली शिक्षकों तथा 12 विश्वविद्यालय व कालेज शिक्षकों व कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है। शिक्षक संघ इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश बताते हुए कोर्ट जा रहे हैं।