DESK: दिसंबर 2021 को हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन हुआ था। जिसमें कथित अभद्र भाषा के प्रयोग से जुड़े मामले में जीतेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी ने याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई की गयी। हरिद्वार धर्म संसद का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी किया कि वे माहौल खराब कर रहे हैं। उन्हें पहले खुद को संवेदनशील बनाना होगा।
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए जीतेंद्र त्यागी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी किया। जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था। पीठ ने उत्तराखंड राज्य को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने काउंटर फाइल करने का निर्देश स्टेट काउंसिल को दिया। साथ ही पूछा कि पूछा कि आप आगे क्या चाहते हैं?
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने जीतेंद्र त्यागी के वकील सिद्धार्थ लूथरा द्वारा सूचित किया कि आरोपी पहले से ही 6 महीने से हिरासत में है और मेडिकल समस्याओं से जुझ रहा है। पीठ ने पूछा कि धर्म संसद है क्या? अदालत के सवाल का जवाब देते हुए लूथरा ने कहा कि मैं एक आर्य समाजी हूं, मुझे नहीं पता। वीडियो देखा हैं, भगवा कपड़ों में लोग इकट्ठे हुए और भाषण दिए थे। जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि वे माहौल खराब कर रहे हैं। शांति से साथ रहें, जीवन का आनंद लें।
पीठ ने कहा कि जिस अपराध के लिए आरोपी पर आरोप लगाये गये है उसके लिए अधिकतम सजा 3 साल है और वह पहले ही 4 महीने से जेल में है। आप उसे और क्या जांच कराना चाहते हैं? शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि आरोपी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह कानून से नहीं डरते। और ऐसा करना जारी रखेंगे। इसके बाद बेंच ने कोर्ट में मौजूद उत्तराखंड के डिप्टी एडवोकेट जनरल को नोटिस लेकर राज्य का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।