'जिसके पास है वोट वही है VIP...,' बोले मुकेश सहनी ... आजद देश में आज भी गुलाम हैं निषाद, अधिकार के लिए करना पड़ रहा संघर्ष

'जिसके पास है वोट वही है VIP...,' बोले मुकेश सहनी ... आजद देश में आज भी गुलाम हैं निषाद, अधिकार के लिए करना पड़ रहा संघर्ष

MOTIHARI : भारत 1947 में ही आजाद हो गया। आज आजदी के इतने साल गुजर गए, लेकिन इसके बाबजूद आज भी इस आजाद देश में निषाद समाज आजाद नहीं है। आजादी की लड़ाई में बड़ी संख्या में निषाद समाज के लोगों ने अपनी जान गंवाई। लेकिन आज भी निषाद समाज को सही आजादी नहीं मिल पाई है, आज भी निषादों को हक और अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह बातें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कही है। 


दरअसल, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी गुरुवार को अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में महात्मा गांधी की कर्मभूमि पूर्वी चंपारण पहुंचे। सहनी के यहां पहुंचने पर लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया। सहनी की संकल्प यात्रा के डिलिया बाजार , केसरिया से शुरू हुई, जहां बड़ी संख्या में उपस्थित युवाओं और महिलाओं ने हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लिया। इस दौरान सहनी ने इस धरती को नमन करते हुए कहा कि - इसी धरती ने संकल्प की बदौलत गांधी जी को महात्मा बनाया था। आज हम भी संघर्ष का संकल्प ले रहे है और संकल्प निषादों के उज्जवल भविष्य को तय करेगा। 


मुकेश सहनी संकल्प रथ पर सवार होकर लाला छपरा चौक, पितांबर चौक केसरिया, हुसैनी बाजार, सेमापुर मेला बाजार, संग्रामपुर, बड़ी वीअरिया बाजार पहुंचे जहां विरती टोला ब्रह्म स्थान के प्रांगण में  विशाल जनसभा को संबोधित किया। इसके बाद गायघाट, उज्जैन लोहियार पंचायत के बलुआ हाई स्कूल के प्रांगण में विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान सभी स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे और उत्साह के साथ वीआईपी को समर्थन देने तथा निषादों के आरक्षण के लिए संघर्ष में साथ देने का संकल्प लिया।


वहीं,लोगों को संकल्प दिलाते हुए  सहनी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में बड़ी संख्या में निषाद समाज के लोगों ने अपनी जान गंवाई लेकिन आज भी निषाद समाज को सही आजादी नहीं मिल पाई है, आज भी निषादों को हक और अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने लोगों में जोश भरते हुए कहा कि आज पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में निषादों को आरक्षण मिल रहा है लेकिन बिहार, यूपी, झारखंड को अब भी यह अधिकार नहीं दिया गया है। 


इसके आगे उन्होंने कहा कि, नौ वर्ष के संघर्ष की बदौलत आज बिहार में निषादों की अलग पहचान बनी है अब हमे इसी जोश के साथ संघर्ष करना है कि देश दुनिया में भी निषाद के लोग सिर उठाकर जी सके इसी के लिए संकल्प लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जो संकल्प है वह अभी पूरी तरह पूरा नहीं हुआ है।