Road Accident: सड़क हादसे में बारात से लौट रहे 3 लोगों की मौत, कई घायल Bihar Crime News: अवैध नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा की मौत, डॉक्टर फरार Arif Mohammad Khan : सोये प्रशासन और कुलपति को जगाएंगे राज्यपाल साहब ...बोले यूनिवर्सिटी ज्ञान का मंदिर है, बमबाजी और गुंडागर्दी नहीं चलेगी! Bihar politics: बिहार में सियासी घमासान तेज़! मई के अंत में एक साथ आएंगे पीएम मोदी और राहुल गांधी Illegal Bangladeshi Immigrants: 18 लाख राशन कार्ड रद्द, सैकड़ों अवैध बांग्लादेशियों को भेजा गया वापस Asaduddin Owaisi: पाकिस्तान का समर्थन कर फुदक रहे तुर्की पर भड़के ओवैसी, याद दिलाई औकात.. Nepal Bangladesh Border: नेपाल-बांग्लादेश सीमा से सटे थाने बनेंगे हाईटेक, तस्करी और घुसपैठ पर लगेगी पूरी तरह रोक Jharkhand News: एनआईटी के होनहार छात्र ने मौत को लगाया गले, जानिए आखिर क्या था कारण? RBI 20 rupees note :नोट बदलने की फिर तैयारी? जानिए 20 रुपये के नोट को लेकर क्या बोला RBI! Bihar News: मदरसे में मासूम को तालिबानी अंदाज में दी यातना, मौलाना की पोल खुलने पर मची सनसनी
1st Bihar Published by: Updated Fri, 23 Jul 2021 01:38:50 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: इंजीनियरिंग या अन्य प्रोफेशनल कोर्स की पढ़ाई के लिए पहले बिहार के बच्चे दूसरे प्रदेशों की ओर पलायन करते थे। बिहार में इंजीनियरिंग कॉलेज के अभाव का होना इसका एकमात्र कारण था। पढ़ाई के लिए छात्रों का पलायन बिहार के लिए एक बड़ी समस्या थी। जिससे बिहार को राजस्व का भी नुकसान होता था। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्णय लिया की अब बिहार में ही बहुत सारे इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। 2005 से 2020 तक बिहार 39 इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोले गये जिससे छात्र-छात्राओं को अब राज्य के अंदर ही पढ़ाई की व्यवस्था कर दी गयी। आज उन्हें पढ़ाई के लिए दूसरे प्रदेशों का रूख नहीं करना पड़ता। इस बात की जानकारी जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने दी।
जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा जब इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य कोर्स की पढ़ाई करने बिहार के छात्र बाहर जाने लगे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया की क्यों ना बिहार में ही बहुत सारे इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले जाए। नीतीश कुमार चाहते तो निजीकरण को बढ़ावा दे सकते थे। लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और आज स्थिति अलग है। 2005 से 2020 तक बिहार में 39 इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गये। जहां छात्र आज शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
बिहार में 1960 से 2005 तक एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खुला था। निजी क्षेत्र के तीन इंजीनियरिंग कॉलेज भी लालू-राबड़ी राज में बंद हो गए। 2005 से 2020 तक बिहार में 39 इंजीनियरिंग कॉलेज खुले। 1954 से 2005 तक राज्य में सरकारी क्षेत्र में 3 इंजीनियरिंग कॉलेज थे और उनकी प्रवेश क्षमता 800 थी। आज के दिन में यह प्रदेश क्षमता बढ़कर 9,275 हो चुकी है।
बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज का फीस 10 प्रति माह और एनुअल डेवलपमेंट फीस 2500 रुपए प्रति वर्ष है यानी कुल पढ़ाई का खर्च लगभग 14,800 मात्र है। इतने पैसे तो बाहर आकर पढ़ने में सिर्फ ट्रेन के रिजर्वेशन में खर्च हो जाते हैं। आज के दिन में किसी भी प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने की फीस 4 साल में 15 से 16 लाख रुपए है।
लेकिन बिहार में सिर्फ ₹14,800 फीस में कोई भी छात्र इंजीनियर बन सकता है। बिहार के बच्चों को बिहार में उच्च तकनीकी शिक्षा देना तथा स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से आर्थिक अड़चनों को दूर करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्राथमिकता में रहा है और उनके इस कदम से बिहार के बच्चों को लाभ मिला है।