PATNA : बिहार विधान परिषद की 7 सीटों के लिए चुनावी प्रक्रिया चल रही है। नामांकन का दौर जारी है और आरजेडी के सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल भी कर दिया है। इसके बावजूद एनडीए कोटे से किसी उम्मीदवार का अब तक नामांकन नहीं भरा गया है। दरअसल बीजेपी कोटे से दो और जदयू कोटे से दो उम्मीदवारों को नामांकन करना है लेकिन अब तक उम्मीदवारों के नाम की आधिकारिक घोषणा भी नहीं हो पाई है। सारा मामला जेडीयू के उम्मीदवार को लेकर फंसा हुआ है। नेताओं को विधान परिषद भेजने को लेकर नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है इसका जवाब किसी के पास नहीं लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि आज इस सस्पेंस पर से पर्दा उठ जाएगा।
नामांकन के लिए अब वक्त कम है लिहाजा हर हाल में जेडीयू आज उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर देगा। नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस तरह फैसले लिए उसे देखकर यह कयास लगाया जा रहा है कि विधान परिषद चुनाव में भी नीतीश कुमार पार्टी के पुराने नेताओं और साथियों को परिषद भेज सकते हैं। इसमें पहला नाम युवा काल से पार्टी के साथ जुड़े रहे अफाक अहमद का बताया जा रहा है। अफाक अहमद का विधान परिषद जाना तय माना जा रहा है जबकि दूसरे नाम को लेकर कई चेहरों की चर्चा होती रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा तक दूसरी सीट पर दावेदार रहे लेकिन फर्स्ट बिहार को जेडीयू के विश्वस्त सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक उमेश कुशवाहा का पत्ता साफ हो चुका है और पार्टी के पुराने नेता और लंबे अरसे से जेडीयू का झंडा उठाने वाले रविंद्र सिंह को पार्टी विधान परिषद भेज सकती है। रविंद्र सिंह लंबे अरसे से नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे हैं। प्रदेश मुख्यालय का काम देखने के अलावा उन्होंने संगठन को लंबा समय भी दिया है और फिलहाल वह उम्र के जिस पड़ाव में है अगर उन्हें पार्टी कुछ नहीं देती है तो आगे कहीं एडजस्ट हो पाना भी मुश्किल होगा। संभव है कि नीतीश कुमार अपने हिस्से पुराने साथी को इस बार विधान परिषद भेज दें। रविंद्र सिंह कुर्मी जाति से आते हैं लेकिन खास बात यह है कि वह नीतीश कुमार और ललन सिंह दोनों के विश्वास पात्र हैं।
नीतीश कुमार से लेकर ललन सिंह के लिए रविंद्र सिंह कितनी अहमियत रखते हैं, इस बात का अंदाजा लगाने के लिए ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद हुए घटनाक्रम को याद किया जा सकता है। आरसीपी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते उनसे दूरियां बढ़ने पर रविंद्र सिंह ने पार्टी कार्यालय आना-जाना तक छोड़ दिया था लेकिन जब नेतृत्व परिवर्तन हुआ तो ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद रविंद्र सिंह वापस से पार्टी में सक्रिय हुए। रविंद्र सिंह की वापसी के लिए ललन सिंह ने खुद पहल की थी। सूत्र बता रहे हैं कि जेडीयू में दूसरे सीट के लिए कई नामों के ऊपर चर्चा हुई, इसमें कुछ नाम ऐसे भी रहे जो विधानसभा चुनाव के पहले आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए थे। लेकिन सामाजिक समीकरण के लिहाज से यह नाम फिट नहीं बैठते हैं लिहाजा अब रविंद्र सिंह के नाम पर मुहर लग सकती है। हालांकि अधिकारिक ऐलान का इंतजार सबको है।