जातीय गणना में नीतीश की रूची नहीं: कुशवाहा ने कहा- बिहार के सीएम घूमने में हैं व्यस्त.. उनकी लापरवाही का नतीजा है हाई कोर्ट का फैसला

जातीय गणना में नीतीश की रूची नहीं: कुशवाहा ने कहा- बिहार के सीएम घूमने में हैं व्यस्त.. उनकी लापरवाही का नतीजा है हाई कोर्ट का फैसला

PATNA: पटना हाई कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए बिहार में चल रहे जातीय गणना पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को लगे इस बड़े झटके के बाद जातीय गणना को लेकर राजनीति गर्म हो गई है। विपक्षी दल इसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार को दोषी बता रहे हैं। राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने हाई कोर्ट के फैसले को लेकर नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि नीतीश को अब बिहार में कोई रूची नहीं रह गई है और वे सिर्फ दूसरे राज्यों में घूमने में व्यस्त हैं। उन्हीं की लापरवाही का नतीजा है कि इतने महत्वपूर्ण मामले पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दिया।


उपेंद्र कुशवाहा ने हाई कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि बिहार में जातीय गणना की जरुरत पहले से महसूस की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट समेत दूसरे राज्यों के कोर्ट ने भी जातीय गणना पर समय समय पर आंकड़े नहीं होने की बात कही है और आंकड़ा देने के बाद ही इस तरह के विषयों पर कोई बात हो सकती है। देश में 31 के बाद कोई जनगणना नहीं हुई ऐसे में आंकड़ों की जरुरत है। राज्य की नीतीश सरकार को चाहिए था कि पूरी तैयारी के साथ इस केस को लड़ती लेकिन सरकार के सुस्त और लापरवाह रवैया के कारण कोर्ट का यह फैसला आय़ा है। 


कुशवाहा ने कहा कि नीतीश सरकार का शुरू से ही ऐसे मामलों में लापरवाह रवैया रहा है। लीगल मामला है ऐसे में सरकार को इसपर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत थी लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही का परिणाम है हाई कोर्ट का यह फैसला। उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब सरकार की लापरवाही के कारण कोर्ट का ऐसा फैसला आया है। इससे पहले भी कोर्ट के कई बार ऐसे फैसले आ चुके हैं, जिसमें नरसंहारों के मुजरिम तक बचते रहे हैं क्योंकि राज्य की सरकार ऐसे मामलों में लापरवाह हो जाती है। इस मामले में भी सरकार की तरफ से लापरवाही बरती गई। इसके लिए अगर कोई जिम्मेवार है तो वह बिहार की सरकार और खुद मुख्यमंत्री हैं।


नीतीश की विपक्षी एकता की मुहिम पर तंज करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री को दूसरे राज्यों में घूमने से फुर्सत नहीं है, अब उनको बिहार में कोई रूची नहीं है। नीतीश कुमार ने सरकार के कामकाज में रूची लेना छोड़ दिया है। खुद नीतीश कुमार बोलते रहते हैं कि अब उनका मन नहीं लग रहा है। अगर मन नहीं लगने वाला मुख्यमंत्री रहेगा तो यही स्थिति सामने आनी है। सरकार की जवाबदेही थी कि वह अपना पक्ष मजबूती के साथ कोर्ट के समक्ष रखे। सरकार की तरफ से इसको लेकर तैयारी नहीं की गई थी कि वह कोर्ट के समक्ष अपनी बात को ठीक ढंग से रख पाए। कुशवाहा ने बिहार सरकार को सलाह दी है कि वह बिना देर किए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करें।