जहरीली शराब से 28 लोगों की मौत पर बोले आरसीपी, बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल, नीतीश की प्रतिष्ठा के कारण गरीबों की जा रही जान

जहरीली शराब से 28 लोगों की मौत पर बोले आरसीपी, बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल, नीतीश की प्रतिष्ठा के कारण गरीबों की जा रही जान

MOTIHARI: पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब पीने से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहरीली शराब पीने से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक जिले के विभिन्न इलाकों में सात अन्य लोगों के मौत की खबर है। ऐसे में मृतकों की संख्या 28 हो गई है हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 14 लोगों के मौत की बात सामने आ रही है। इस घटना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने बिहार के मुखिया नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है। नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा के कारण गरीबों की जान तक जा रही है। जहरीली शराब पीने से मरा भी गरीब और नौकरी भी गरीब की ही जाएगी। आरसीपी सिंह ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है। 


मोतिहारी में जहरीली शराबकांड के बाद एएसआई और चौकीदार को निलंबित कर दिया गया है। कुल 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है। आरसीपी सिंह ने पूछा की नीतीश बाबू क्या शानदार मानक है आपका ज़िम्मेदारी निर्धारण करने का,मान गए ! प्रदेश में शराबबंदी की नीति आपने बनाई और सस्पेंड कर रहे हैं बेचारे ASI और चौकीदार को। मरा भी गरीब और नौकरी भी जाएगी गरीब की ! 


आरसीपी सिंह ने गोस्वामी तुलसीदास के बालकाण्ड में लिखे पंक्ति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने ठीक ही लिखा है -‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’। आप प्रदेश के मुखिया हैं, राज्य के सारे आर्थिक एवं मानव संसाधन आपके अधीन है।पुलिस,आवकारी और ख़ुफ़िया तंत्र के सर्वे सर्वा आप स्वयं हैं।सभी विभागों के वरीय पदाधिकारी गण अपने-अपने विभागों की प्रगति/ समस्याओं से आपको समय समय पर अवगत कराते रहते हैं।फिर भी ज़हरीली शराब पीने से गरीब  मर रहे हैं। समाचार पत्रों में छपी खबरों से ऐसा लगता है कि शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए आपने सैंकड़ों- करोड़ों रुपए का बजट दिया है।पूरे पुलिस विभाग को आपने इसी काम में लगा दिया है।शिक्षकों तक को आपने इस अभियान से जोड़ रखा है।इन सबके बावजूद भी शराबबंदी की आपकी नीति क्यों सफल नहीं हो पा रही है।


आरसीपी सिंह ने फिर पूछा कि इस पर आपने कभी गौर किया है नीतीश बाबू ?  खान-पान व्यक्ति का निजी मामला होता है।खान -पान को क़ानून के ज़रिए नहीं बदला जा सकता है । लोहिया जी भी कहा करते थे कि खान-पान निजता(personal) से जुड़ा हुआ है , इसे क़ानून के दायरे में नहीं लाना चाहिए। क़ानून के बदले लोगों को जागृत कर खान-पान के गुणों और अवगुणों से अवगत कराया जा सकता है।मुझे तो ऐसा ही लगता है नीतीश बाबू, बाकी आप समझें । जब आपने बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की थी , समस्त बिहार वासियों ने इसका समर्थन मानव श्रृंखला बना कर किया था। परंतु क्या हुआ ?कुछ ही महीनों के बाद शराबबंदी के बावजूद बिहार के कोने कोने में शराब का अवैध धंधा फूलने फलने लगा और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। 


आरसीपी सिंह फिर कहते हैं कि नीतीश बाबू ,मैंने कल भी लिखा था और आज पुनः कह रहा हूँ कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है। आप इसे prestige का मुद्दा न बनाइए एवं सच्चाई से रूबरू होइए।समय निकलता जा रहा है तथा शराबबंदी के चलते बिहार को न सिर्फ़ आर्थिक नुक़सान हो रहा है , ग़रीबों की जान भी जा रही है तथा प्रदेश के बाहर बिहार की बदनामी भी हो रही है, इस पर सोचिए । याद करिए नीतीश बाबू, NDA सरकार में आप रेल मंत्री थे ,गैसल में भयंकर रेल दुर्घटना हुई थी एवं कई सौ यात्रियों की मौत हुई थी।उस समय आपने क्या किया था, याद है न ? गैसल दुर्घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए आपने केंद्रीय मंत्री के पद से न सिर्फ़ इस्तीफ़ा दिया था बल्कि ज़िद कर उसे स्वीकार भी कराया था।


क्या आप उस ट्रेन के चालक थे , सिग्नलमैन थे , स्टेशन मास्टर थे, नहीं न । फिर भी आपने इस्तीफ़ा क्यों दिया था? उस समय आपका ज़मीर बचा हुआ था और राजनीति में नैतिक मूल्यों के प्रति आपकी श्रद्धा थी और इसलिए आपने इस्तीफ़ा देकर राजनीति में शुचिता का मानक स्थापित किया था । कैसा मोमेंट था ! अब भी समय है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी,सोचिए कि कैसे बिहार के युवाओं, किसानों ,मज़दूरों को बिहार में रोज़गार के अवसर मिलें। उन्हें देश के विभिन्न कोनों में रोज़गार खोजने के लिए  दर-दर की ठोकरें न खानी पड़ें, इस पर काम करिए। बिहार और बिहारी सम्मान का कद्र करिए !  भारतवर्ष ज़िंदाबाद ! भारतवासी ज़िंदाबाद ! बिहार ज़िंदाबाद ! बिहारी ज़िंदाबाद !